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यूपी: बाढ़ग्रस्त इलाकों में दिन-रात बारिश के बीच छतों पर गुजर रही है जिंदगी

चारों ओर से जल सैलाब, दूर गुजरती नाव और छतों से टकटकी लगाए निगाहें, यही दृश्य है पूरे बाढ़ पीड़ित इलाकों का. अगर कोई नाव या एनडीआरएफ की टीम गुजरती है तो पक्के मकानों की छतों पर मौजूद लोगों की पुकार नक्कार खाने में तूती की तरह सुनाई देती है.

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बाढ़ से हालात खराब
बाढ़ से हालात खराब

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चारों ओर से जल सैलाब, दूर गुजरती नाव और छतों से टकटकी लगाए निगाहें, यही दृश्य है पूरे बाढ़ पीड़ित इलाकों का. अगर कोई नाव या एनडीआरएफ की टीम गुजरती है तो पक्के मकानों की छतों पर मौजूद लोगों की पुकार नक्कार खाने में तूती की तरह सुनाई देती है. गंगा ने कहर बरपाया तो अपने साथ सबकुछ लील लिया, अगर किसी का पक्का मकान बचा तो लोगों ने अपना आशियां वहीं समेट लिया. क्या बच्चे क्या बुजुर्ग क्या औरतें सभी एक ही छत पर बस नावों पर टकटकी लगाए रहते हैं इस आस में कि शायद कोई आए तो कुछ राहत आए या फिर उन्हे यहां से निकाल ले जाएं.

पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का आधा हिस्सा जलमग्न है और गंगा के किनारे के सभी इलाके डूब गए हैं. आजतक की टीम जब हल्दीपुर इलाके मे एनडीआरएफ के साथ गांव में पहुंची कई लोगों की पुकार की आवाजें एक साथ सुनाई देने लगी. लोग हर गुजरने वाली नाव को इस उम्मीद में अपनी ओर बुला रहे हैं कि शायद उनके पास कुछ राहत का सामान हो. ये हाल पूरे बाढ़ग्रस्त इलाके का है लेकिन आजतक ने जाना कि हल्दीपुर गांव के एक घर में कैसे दर्जनों लोगों का परिवार पिछले कई दिनों से मकान के छत पर वक्त गुजार रहा है.

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छोटे बच्चों को नहीं मिल रहा दूध
हल्दीपुर गांव का यादव सिंह परिवार जिसके घर के आगे-पीछे सबकुछ जलमग्न है, घर के भीतर कई फुट पानी है, बरामदे में चौकी के ऊपर चौकी रखी गई जबकि घर के भीतर का सबकुछ डूब चुका है. सीढ़ी के कमरे में खाने-पीने के सामान को बचाकर रखा गया है तमाम कमरे डूबे हुए हैं परिवार के लिए घर में उतरना भी मुश्किल है. ऐसे में बच्चे बूढ़े समेत पूरा परिवार घर की छत पर है. परिवार को चिंता है कि अगर पानी नहीं घटा तो अगले 1-2 दिनों में बचा हुआ राशन खत्म हो जाएगा और तब परिवार क्या खाएगा. परिवार में छोटे-छोटे बच्चे हैं जिन्हें कई दिनों से दूध नसीब नहीं हुआ है. भूख से बिलबिलाते बच्चों के लिए मां की डांट के अलावा कुछ भी नहीं. घर में मौजूद लड़की बताती है कि हालात बहुत खराब है, न पीने को पानी है न खाने को राशन, पूरा दिन-रात धूप औऱ बारिश में छत पर गुजारना पड़ रहा है. परिवार चोरी के डर से घर भी छोड़ने को तैयार नहीं है.

राहत के इंतजार में लोग
यहां लोगों की आखों में आंसू है क्योंकि सब कुछ डूबा हुआ है राहत के नाम पर कुछ नहीं पहुंचा. पहुंच रही है तो सिर्फ एनडीआरएफ की टीमें जो बूढ़े-बुजुर्ग और बीमार लोगों को निकालने में लगी है. अब लोगों की जरूरत राहत सामग्री है जिसे बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचाया जाना जरूरी है.

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