यूपी में बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की गई है. इसमें मांग की गई है कि यदि सरकारी दफ्तरों की बकाया बिजली की रकम सरकार वसूल कर ले, तो महंगी बिजली का भार लोगों पर नहीं पड़ेगा. कोर्ट ने सरकार और कॉरपोरेशन से आठ जुलाई तक जवाब मांगा है.
मौजूदा हालात में यूपी पावर कॉरपोरेशन का सरकारी विभागों पर 8000 करोड़ और उपभोक्ताओं पर 23 हजार करोड़ रुपये बकाया है. यदि सरकारी विभागों से ही 25 फीसदी रकम वसूल ली जाये, तो बिजली की दरें बढ़ाने की नौबत ही नहीं आएगी.
याचिकाकर्ता फारुख के मुताबिक, सरकार को बिजली की दरें बढ़ाने की जरूरत नहीं थी . सरकारी दफ्तरों पर अरबों रुपये का बिल बकाया है. कई नगर पालिका के ऊपर 10 से 20 करोड़ बकाया है. नगर पंचायत के ऊपर भी अरबों रुपया बकाया है. 6 जून को हुई पावर कॉर्पोरेशन की मीटिंग में भी कहा गया था कि करीब 6000 करोड़ रुपए बकाया वसूली नहीं हो पा रहा है.