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योगी के मंत्री ने कहा- नहीं खत्म किया सरकारी स्कीमों से अल्पसंख्यक कोटा

पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने कोटा खत्म करने की बात कही तो अब समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने इससे इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि कोटा खत्म करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ

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उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी अल्पसंख्यक कोटे पर रोक को लेकर योगी के दो मंत्री आमने-सामने आ गए हैं. जहां अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कोटे पर रोक का बयान दिया तो वहीं समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने अल्पसंख्यक कोटे पर रोक से इंकार किया है.

कोटा खत्म करने का कोई प्रस्ताव नहीं
पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने कोटा खत्म करने की बात कही तो अब समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने इससे इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि कोटा खत्म करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

सोमवार सुबह अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने कोटा मुक्ति का नारा लगाया तो शाम होते-होते समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने रोक से इनकार कर दिया.

2012 में हुई अल्पसंख्यकों को कोटा देने की शुरुआत
अखिलेश यादव सरकार ने 85 योजनाओं में अल्पसंख्यकों के लिए 20 फीसदी कोटे का प्रावधान किया था. अखिलेश सरकार की योजनाओं में अल्पसंख्यकों को कोटा देने की शुरुआत 2012 में हुई थी, जिसके तहत प्रदेश सरकार की 85 योजनाओं में अल्पसंख्यकों के लिए 20 फीसदी कोटा निर्धारित किया गया.

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प्रमुख विभागों में अल्पसंख्यकों को कोटे का फायदा
सबसे ज्यादा कोटा समाज कल्याण और ग्राम विकास में है. जिन क्षेत्रों में कम से कम 25 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यकों की होती है, वहां योजनाओं को सख्ती से लागू किए जाने के निर्देश हैं. स्वास्थ्य लोक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, लघु उद्योग, खादी ग्रामोद्योग, पंचायती राज और चिकित्सा जैसे प्रमुख विभागों में अल्पसंख्यकों को कोटे का फायदा मिल रहा है.

अखिलेश सरकार की कई योजनाओं पर योगी की कैंची
सीएम बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश सरकार की कई योजनाओं को खत्म कर दिया है. उसी कड़ी में अब एक मंत्री के बयान पर अल्पसंख्यक कोटा खत्म किए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं.

बिना अध्‍यक्ष के चल रहा है केंद्रीय अल्‍पसंख्‍यक आयोग
देश के कई राज्य जहां अल्पसंख्यकों के लिए बिछे जा रहे हैं, वहीं यूपी में अल्पसंख्यकों के लिए लाई गई पिछली सरकार की कई योजनाएं खत्म की जा रही हैं और देश के अल्पसंख्यक आयोग का तो पिछले तीन महीनों से सिर्फ नाम ही रह गया है. लगता है भारत का अल्पसंख्यक आयोग भी राम भरोसे ही चल रहा है.

यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने तो साफ कर दिया है कि अल्पसंख्यकों के लिए लागू पिछली सरकार की कई नीतियों को गुणदोष और उपयोगिता के आधार पर खत्म किया जाएगा.

 

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रही बात देश के अल्पसंख्यक आयोग की तो मार्च महीने से आयोग के पास ना तो कोई अध्यक्ष है और ना ही कोई सदस्य. सिर्फ एक आईएएस अफसर सचिव हैं जो अरसे से मेडिकल लीव पर हैं.

अब अल्पसंख्यकों की बात करे तो कौन..
आयोग के सूत्रों की मानें तो यूपीए सरकार ने जाते-जाते नसीम अहमद को तीन साल के लिए अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बना दिया था. मार्च 2017 में नसीम अहमद का कार्यकाल खत्म हो गया. अब तक नया अध्यक्ष नहीं आया. रही बात अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की तो सिख समुदाय के प्रतिनिधि सरदार अजायब सिंह का कार्यकाल डेढ़ साल पहले ही खत्म हो गया.

मुस्‍लिम समुदाय की नुमाइंदगी करने वाली फरीदा खान जुलाई 2016 में ही रिटायर हो गईं. बौद्ध समुदाय के शेरिंग नामग्याल शानू भी पिछले साल ही अपना कार्यकाल पूरा कर गए. ईसाई समुदाय की मेबल रिबेलो और पारसी प्रतिनिधि दादी मिस्त्री भी इस साल मार्च में रिटायर हो गए.

रही बात आयोग की तो फिलहाल सिर्फ आयोग का साइन बोर्ड ही है. जब अध्यक्ष नहीं, सदस्य नहीं और सचिव अमरेंद्र सिन्हा की एंजियोग्राफी हुई है, वो छुट्टी पर हैं. अमरेंद्र सिन्हा से टेलीफोन पर बात हुई तो उनका कहना था कि अगला आयोग कब बनेगा इस बारे में सिर्फ पीएमओ ही बता सकता है.

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