उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हाल ही में हिंसा भड़क उठी थी. हिंसा की इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी. वहीं अब यूपी सरकार ने भी सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यूपी सरकार ने ये बताया है कि लखीमपुर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उसकी ओर से क्या कदम उठाए गए हैं.
लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अब तक की जांच और कार्रवाई पर असंतोष जाहिर किया है. कोर्ट ने अपने आदेश में दो टूक कहा कि पीठ इस मामले की जांच से संतुष्ट नहीं है.
जांच दूसरी एजेंसी को दिए जाने के आसार
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार के वकील ने हमें भरोसा दिया है कि वो सरकार से इस मामले की जांच किसी दूसरी एजेंसी से कराने को कहेंगे ताकि इस मामले में निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच हो सके. कोर्ट के आदेश के बाद अब लगभग यह तय हो गया है कि जांच कोई दूसरी एजेंसी करेगी.
इससे पहले यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि लखीमपुर में कानून व्यवस्था बनाने के लिए एसीपी रैंक के नौ अधिकारी, डीवाई एसपी रैंक के 11 अधिकरी, 20 एसएचओ, दो कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ), 2 कंपनी सशस्त्र सीमा बल (SSB), दो कंपनी पीएसी और दो सौ कांस्टेबल की तैनाती की गई है. जिले में धारा 144 लागू की गई है.
क्या कहा यूपी सरकार ने
सरकार ने मृतक किसान लवप्रीत की मां के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए लखीमपुर के सीएमओ की ओर से मेडिकल टीम उनके घर भेजी गई है. टीम उनके स्वास्थ्य पर नजर रखे हुए है. सरकार की ओर से कोर्ट को ये भी जानकारी दी गई कि सभी मृतकों का पोस्टमॉर्टम सीएमओ के सुपरविजन में करवाया गया. मृतक किसान गुरविंदर सिंह के परिजनों के अनुरोध पर उनका फिर से पोस्टमॉर्टम कराया गया. किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज और संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों के सुपरविजन में गुरविंदर सिंह का दोबारा पोस्टमॉर्टम किया गया.
यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में ये भी बताया गया है कि सभी पीड़ित परिवारों को 45 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है. यूपी सरकार ने साथ ही ये भी जानकारी दी है कि 5 अक्टूबर से विशेष जांच दल (SIT) ने मामले की जांच शुरु कर दी है. 6 अक्टूबर को लखीमपुर की घटना की जांच के लिए रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई है.