अखिलेश सरकार ने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए आनन-फानन में फ्री लैपटॉप तो बांट दिए लेकिन बच्चों को इसे चलाने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है यह बात भूल गए. लैपटॉप बांटने के बाद सरकार को याद आया है कि शिक्षकों को कम से कम कंप्यूटर की ट्रेनिंग देना जरूरी है जिससे बच्चे लैपटॉप चलाने से पहले कंप्यूटर सीख पाएं.
वर्तमान में प्रदेश के किसी भी सरकारी व वित्त पोषित इंटरमीडियट कालेज में एक भी कंप्यूटर शिक्षक नहीं है. नतीजा संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) योजना के तहत इन कालेजों में लगे 25000 कंप्यूटर बेकार पड़े हैं. इंटर पास स्टूडेंट्स को फ्री लैपटॉप देने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू करने के बाद अखिलेश यादव सरकार अब शिक्षक और प्रिंसिपल को कंप्यूटर की ट्रेनिंग दिलाने जा रही है.
लैपटॉप मिलने से पहले स्टूडेंट्स कंप्यूटर चलाने में पूरी तरह पारंगत हो जाएं इसके लिए सरकार प्रदेश के 4000 इंटरमीडियट कालेजों में कम से कम एक शिक्षक और प्रिंसिपल को कंप्यूटर की ट्रेनिंग देगी.
इंटरमीडियट कालेजों में कंप्यूटर शिक्षक तैयार करने के लिए अखिलेश यादव सरकार कंप्यूटर के माइक्रो प्रोसेसर बनाने के लिए विख्यात कंपनी 'इंटेल' से करार करने जा रही है. माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि 'इंटेल' के दक्षिणी एशिया कार्यालय ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान परिषद से पेशकश की थी.
इंटरमीडियट कालेजों के प्रिंसिपल और शिक्षकों को ट्रेनिंग देने के लिए 'इंटेल' प्रदेश के हर जिले के एक कालेज में एक ट्रेनिंग सेंटर खोलेगा. माध्यमिक शिक्षा विभाग के राज्यमंत्री विनोद कुमार सिंह बताते हैं कि इस योजना से प्रदेश के इंटरमीडियट कॉलेज में पढऩे वाले करीब ढाई लाख स्टूडेंट्स को कंप्यूटर की शिक्षा दी जा सकेगी. इंटर पास करने के बाद कंप्यूटर में पारंगत इन स्टूडेंट्स को सरकार द्वारा मिलने वाले लैपटॉप के संचालन में कोई दिक्कत नहीं आएगी.