यूपी की राजधानी लखनऊ में शराब पीकर हंगामा करने वाले 11 ट्रेनी जजों पर राज्य सरकार ने फैसला सुना दिया है. सार्वजनिक स्थान पर शराब पीकर मारपीट करने करने वाले इन जजों को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया है.
गौरतलब है कि 15 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों को सेवा से हटाने का फैसला करते हुए राज्य सरकार से इन्हें बर्खास्त करने की सिफारिश की थी. हालांकि सरकार पर इन्हें बर्खास्त न करने का भारी दबाव था. सरकार ने कानूनी विशेषज्ञों की राय लेने के साथ-साथ इस बात की भी जांच कराई कि पूर्व में क्या इस तरह का कोई ऐसा प्रकरण हुआ है जिसमें हाइकोर्ट की सिफारिश के बावजूद सरकार की ओर से राहत दी गई हो.
हालांकि ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया जिसके बाद सीएम ने बर्खास्तगी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. सभी अफसर पीसीएस (जे) 2012 बैच के हैं और लखनऊ स्थित न्यायिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान (जेटीआरआई) में प्रशिक्षण ले रहे थे. पिछले 8 सितंबर को इनके प्रशिक्षण का आखिरी दिन था.
गौरतलब है कि घटना वाले दिन संस्थान में फेयरवाल का कार्यक्रम था लेकिन कुछ ट्रेनी जज इसमें शामिल होने के बजाय फैजाबाद रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में पार्टी करने चले गए. यहां शराब पीने के बाद ट्रेनी जजों के दो गुटों की आपस में लड़ाई हो गई. संस्थान वापस पहुंचने पर फिर झ्गड़ा हुआ.
इस घटना की जानकारी हाईकोर्ट तक पहुंची तो जांच बैठा दी गई. हालांकि जांच रिपोर्ट में सभी तथ्य सामने नहीं आए. शिकायत पर दोबारा जांच कराई गई. रेस्टोरेंट में मारपीट की सीसीटीवी फुटेज फुलकोर्ट में दिखाई गई. इसके बाद जजों ने 11 प्रशिक्षु न्यायिक अफसरों को सेवा से हटाने का प्रस्ताव पारित कर दिया और सरकार से इसकी सिफारिश कर दी. फुलकोर्ट मीटिंग में इस घटना के सही तथ्यों को सामने न लाने पर तीन अपर निदेशकों अनुपम गोयल को पड़रौना, राजीव भारती को देवरिया और अजय कुमार को मऊ में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर स्थानांतरित कर दिया गया था.