केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई शर्त से नया पेच फंसने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर में हाल में हुए सांप्रदायिक दंगों में मारे गए लोगों के परिजन को मुआवजे के तौर पर सरकारी नौकरी देने संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है.
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आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा गत 15 सितंबर को की गई दंगे में मरने वाले हर व्यक्ति के आश्रित को उसकी योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी दिलाने संबंधी घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए शुक्रवार को देर रात शासनादेश जारी कर दिया गया.
राज्य सरकार ने यह आदेश केंद्र सरकार द्वारा लिखे गए उस पत्र पर स्थिति स्पष्ट करने के आग्रह के कुछ देर बाद जारी किया है जिसमें कहा गया है कि मुआवजे के तौर पर नौकरी हासिल करने वाले लोगों को केंद्रीय योजना के तहत 3 लाख रुपये की सहायता नहीं दी जाएगी.
गृह विभाग के प्रमुख सचिव आरएम श्रीवास्तव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सांप्रदायिकता नियंत्रण प्रकोष्ठ के संयुक्त सचिव को शुक्रवार को लिखे पत्र में केंद्रीय योजना के मूल स्वरूप में पात्रता क्षेत्र में नौकरी संबंधी कोई बंदिश नहीं होने का जिक्र करते हुए यह स्पष्ट करने का आग्रह किया है कि क्या मुआवजे के तौर पर नौकरी हासिल करने वाले लोगों को केंद्रीय योजना के तहत 3 लाख रुपये की मदद दी जा सकती है या नहीं.
इस पत्र व्यवहार के बाद राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार को देर रात जारी शासनादेश में कहा गया है कि सहारनपुर के मंडलायुक्त की तरफ से गत 25 सितंबर को भेजे गए प्रस्ताव के सिलसिले में मुजफ्फरनगर दंगों में मारे गए 62 में से 9 मृतक आश्रितों को समूह ‘ग’ के पद पर नौकरी दी जाएगी.
शासनादेश के मुताबिक बाकी प्रकरणों में मृतक आश्रितों को समूह ‘घ’ के पदों पर राजस्व विभाग, लोक निर्माण विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में नियुक्त करने का फैसला किया गया है. इस सिलसिले में संबंधित प्रमुख सचिव (सचिव) मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं.