उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के भट्टा और पारसौल गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध में 7 मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था, जिसमें 2 किसान और दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. अब यूपी सरकार किसानों पर दर्ज दो मुकदमे वापस ले रही है.
भाजपा के जेवर से विधायक धीरेंद्र सिंह की पहल पर प्रदेश सरकार ने राज्यपाल से मुकदमे वापस लेने की सिफारिश की थी. राज्यपाल ने दो मुकदमे वापस लेने की अनुमति दे दी है. जिन मुकदमों को वापस लेने की अनुमति राज्यपाल ने दी है, वह दनकौर कोतवाली में दर्ज थे. इन मुकदमों में 3 दर्जन से अधिक किसान आरोपी बनाए गए थे.
इससे पहले साल 2012 में भी किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए गए थे, जो मई 2011 में दर्ज किए गए थे. बता दें कि गौतमबुद्धनगर के भट्टा तथा पारसौल गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध में पुलिस के साथ किसानों का संघर्ष हुआ था, जिसके बाद उन पर मुकदमे दर्ज किए गए थे. मुकदमे वापस लेने के फैसले के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को जनहित एवं न्यायहित में वापस ले लिया गया है.
उस वक्त समाजवादी पार्टी ने मई 2011 में बसपा सरकार के कार्यकाल में निर्दोष किसानों का उत्पीड़न करने की नीयत से दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने की घोषणा पहले ही कर दी थी.
गौरतलब है कि संघर्ष समिति के नेतृत्व में ग्राम भट्टा व पारसौल के किसानों ने मई 2011 में अपनी जमीनों का मुआवजा बढ़ाए जाने के लिए आंदोलन किया था. प्रदर्शन के दौरान ही आंदोलनरत किसानों के खिलाफ विभिन्न आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज किए गए थे. इनमें से अधिकतर मुकदमे जनपद गौतमबुद्ध नगर के थाना दनकौर में मानवीर सिंह तेवतिया प्रेमवीर काले सिंह गजे सिंह किरणपाल धनसिंह और अन्य के विरुद्ध दर्ज किए गये थे.