उम्मीद तो यही थी कि योगी राज में यूपी की गायों के लिए अच्छे दिन आएंगे. इस उम्मीद की ठोस वजहें भी थीं. योगी आदित्यनाथ गायों से अगाध प्रेम करते हैं. गोरखपुर की गोशाला में 350 गायों को योगी आदित्यनाथ का संरक्षण मिलता रहा है. लखनऊ के सीएम आवास में भी अब गायों का बसेरा है. गाय का सवाल आए तो योगी आदित्यनाथ की तत्परता देखती ही बनती है जैसा कि मुलायम सिंह की बहू के बुलावे पर दिखी थी. लेकिन हकीकत ये है कि योगी राज में गायों का भविष्य उज्ज्वल नहीं दिख रहा है.
गाय पालने में जान का खतरा
सेना से रिटायर्ड अबरार अहमद को अब गाय पालने में डर लग रहा है. उन्हें इस बदले माहौल में गाय पालने में जान का जोखिम दिखता है. गाजियाबाद से करीब 30
किलोमीटर दूर त्योड़ी गांव की गोशाला में सात गायें हैं. पीढ़ियों से यहां गायें पाली जाती रही हैं. गाय-भैंस का दूध बेचकर परिवार अपना गुजर-बसर करता रहा है. लेकिन
अलवर से आई खबरों के बाद इनके दिल का डर गहराता जा रहा है. बेहद मुमकिन है कि अब यहां से गायों को अलविदा कह दिया जाए और भैंसें इनके भविष्य का
भरोसा बन जाएं.
योगी राज में गायों की हालत पर ये वो ग्राउंड रिपोर्ट है जिसे देखकर सरकार और सिस्टम को सतर्क होना चाहिए. 'आज तक' ने ऐसे कुछ और मुस्लिम परिवारों की पीड़ा को कैमरे में कैद किया है जिन्हें गाय पालना अब खतरे से खाली नहीं दिख रहा है. बुजुर्ग डेयरी मालिक मोहम्मद मुश्ताक का दिल आए दिन अनहोनी के खतरे से बैठता रहता है. गायों का बीमार पड़ जाना इनके लिए किसी बला से कम नहीं है.
योगी सरकार के लिए ये रिपोर्ट आंखें खोल देने वाली है, क्योंकि यूपी का गायों से रिश्ता सिर्फ इमोशनल ही नहीं तरक्की का भी है. यूपी की इकॉनोमी के लिए गाय
और भैसों का दुधारू होना जरूरी है. क्योंकि...
1. यूपी देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है.
2. देश की कुल दूध उत्पादन का 17 फीसदी यूपी में होता है.
3. यूपी के पास 78 फीसदी सिंचित जमीन है जबकि राष्टीय औसत 47 फीसदी है.
4. यूपी की सिंचित जमीन की वजह से यहां डेयरी कारोबार की मजबूत संभावना है.
5. यूपी चाहे तो 70 फीसदी महिलाओं को डेयरी प्रोजेक्ट में रोजगार दे सकता है.
ये वो आंकड़े हैं जिससे योगी सरकार को ये समझने में आसानी होगी कि गोरक्षकों की गुंडागर्दी यूपी की सेहत के लिए कितनी हानिकारक है. सवाल किसी अब्दुल, मुश्ताक या कामरान का नहीं, यूपी का है. योगी सरकार ने अवैध बूचड़खाने पर जो सख्ती दिखाई है वही सख्ती गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों के साथ भी होनी चाहिए. गोरक्षा के नाम पर हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती.