यूपी हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) मामले में स्वतंत्रता सेनानी की आश्रित बेटियों के बच्चे भी आरक्षित कोटे का लाभ पाने के हकदार हैं. कोर्ट ने आश्रित पुत्र के बच्चों (पोते या पोती) को लाभ देने और पुत्री के बच्चों को लाभ नहीं देने की नीति को भेदभावपूर्ण मानते हुए इसे रद कर दिया है.
बरेली की ईशा त्यागी की याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. याची का कहना था कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित बेटों के बच्चों के लिए सीपीएमटी प्रवेश परीक्षा में कोटा निर्धारित है. लेकिन सेनानी की आश्रित बेटियों के बच्चों को यह लाभ नहीं दिया जाता है.
याची ने सीपीएमटी प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया था. उसे कुछ अंक कम होने के कारण प्रवेश नहीं मिल सका. उसका कहना था कि यदि कोटे का लाभ मिलता तो वह प्रवेश पा सकती थी. खंडपीठ ने जानना चाहा कि सरकार के पास इस विभेदकारी नीति का क्या आधार है? प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि यह सरकार की पूर्व से स्थापित नीति है.