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यूपी: चार महीने से जल निगम कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन और पेंशन

उत्तर प्रदेश जल निगम की आर्थिक स्थिति पिछले काफी समय से खराब चल रही है. जल निगम निगम कर्मियों ने वेतन व पेंशन न मिलने पर धरना-प्रदर्शन भी किया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होली से पहले तीन महीने का वेतन देने के निर्देश दिए थे, इसके बावजूद फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई का वेतन व पेंशन अभी भी बकाया है.

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यूपी जल निगम मुख्यालय (फाइल फोटो)
यूपी जल निगम मुख्यालय (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 4 महीनों से नहीं मिला वेतन और पेंशन
  • कोरोना के बाद परिवारों की हालत हुई खराब
  • दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहे परिवार
  • विभाग का उदासीन रवैया, कर्मचारी बेहाल

एक तरफ कोरोना संक्रमण से पीड़ित तो दूसरी तरफ आर्थिक परेशानी से बदतर होते हालात, यह हाल उत्तर प्रदेश के जल निगम कर्मियों के परिवारों का है. जल निगम कर्मियों को फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई महीने का वेतन व पेंशन नहीं मिली है. अब तो जून भी आधा निकल चुका है और कर्मचारियों को बकाए की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही. वहीं विभाग के मुताबिक उसकी आर्थिक स्थिति इस समय खस्ता है और कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश में काम-काज भी ठप है, साथ ही सरकारी विभागों से बकाया भी नहीं मिल रहा है.

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उत्तर प्रदेश जल निगम की आर्थिक स्थिति पिछले काफी समय से खराब चल रही है. जल निगम निगम कर्मियों ने वेतन व पेंशन न मिलने पर धरना-प्रदर्शन भी किया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होली से पहले तीन महीने का वेतन देने के निर्देश दिए थे, इसके बावजूद फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई का वेतन व पेंशन अभी भी बकाया है.

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जल निगम में इस समय 9018 कर्मी कार्यरत हैं, जबकि 13585 पेंशनर हैं. कुल 22,603 कर्मियों को एक महीने का वेतन व पेंशन देना होता है. जिस पर करीब 63 करोड़ रुपये खर्च आता है. विभाग की दलील है कि इस समय काम-काज बंद होने के कारण जल निगम की कमाई शून्य है. साथ ही विभिन्न विभागों पर 1,846 करोड़ रुपये जो सेंटेज का बकाया है, वह भी नहीं मिल पा रहा है. डेढ़ महीने से कोरोना संक्रमण के कारण शासन में भी बकाया देने के संबंध में कोई बैठक नहीं हो सकी है.

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यूपी जल निगम कार्यालय, लखनऊ
यूपी जल निगम कार्यालय, लखनऊ

आजतक की टीम जब जल निगम के दफ्तर पहुंची तो जल निगम के कर्मचारी अपने साथ हो रहे अन्याय की दास्तान सुनाने लगे. कर्मचारियों के मुताबिक 4 महीने से जहां तनख्वाह नहीं मिली है तो वहीं ज्यादा काम करने का दबाव भी बनाया जाता है. आलम ये है कि बिना सैलरी के काम करना जल निगम के सभी कर्मचारियों के लिए मजबूरी हो गई है. कर्मचारियों ने यह भी कहा कि कोरोना काल में अगर कोई मौत भी हो जाती है तब भी विभाग की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती.

85 साल की रुखसाना अपने घर के हालात बताते हुए फूट कर रो पड़ी, अपने बेटे आबिद अली की बकाया 4 महीने की पेंशन ना मिल पाने के चलते घर के बदतर होते हालात, उनकी परेशानी का सबसे बड़ा सबब हैं.

85 साल की रुखसाना
85 साल की रुखसाना

रुखसाना के मुताबिक हर किसी से कर्जा लेने के बाद भी घर का खर्चा नहीं चल रहा और अब तो दो वक्त की रोटी के भी लाले हो चले हैं. सरकार से गुहार लगाती यह मां घर के हालात पर सिवाय आंसू बहाने के कुछ और नहीं कर पा रही.

62 साल के सतीश चंद्र यादव अपनी पेंशन के लिए भटक रहे हैं. 4 महीने से नहीं मिल रही पेंशन के चलते घर का खर्च चलाना बेहद मुश्किल हो चला है. सतीश पहले ही अपने रिटायरमेंट के बाद काटे गए अनुचित राशि के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं और इस बीच आई कोरोना की दूसरी लहर ने परिवार के बजट की कमर तोड़ कर रख दी है.

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सतीश चंद्र यादव की पत्नी लक्ष्मी देवी सरकार से नाराजगी दिखाते हुए कहती हैं कि पिछले 4 महीने परिवार के लिए बेहद मुश्किल थे. बच्चों की फीस, दवाई का खर्च, राशन और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी ना कर पाना उनके परिवार के लिए सबसे बड़ी परेशानी रही.

इस पूरे मामले पर विभाग ने चुप्पी साध रखी है और मुख्य प्रबंधक अनिल कुमार अपने दफ्तर में मौजूद नहीं थे. इससे पहले वेतन देने में असफल शासन के अधिकारियों ने जल निगम के करीब पांच हजार नियमित कर्मचारियों को दूसरे विभाग में शिफ्ट करने का फैसला किया था. इसके बाद जल निगम संघर्ष समिति इस आदेश के विरोध में उतर आई थी. जिन कर्मचारियों को दूसरे विभागों में समायोजित किया जा रहा है, उनकी उम्र 50 साल से अधिक है. फिलहाल कर्मचारी अपनी तीन महीने की सैलरी को लेकर परेशान हैं. कर्मचारियों का कहना है कि नियमित वेतन न मिलने से वह सब आर्थिक तंगी के कगार पर पहुंच चुके हैं.

 

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