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जौनपुर: मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर रोक हटाने से हाई कोर्ट का इनकार

कोर्ट ने एसडीएम के आदेश में विशेष न्यायिक क्षेत्राधिकार का उपयोग करते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से सामाजिक असंतुलन खड़ा हो सकता है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार किया (सांकेतिक तस्वीर)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार किया (सांकेतिक तस्वीर)

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  • हाईकोर्ट का इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार
  • लाउडस्पीकर के लिए लिखित इजाजत जरूरी

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगाने पर एसडीएम की ओर से लगाई गई रोक हटाने से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है. कोर्ट ने एसडीएम के आदेश में विशेष न्यायिक क्षेत्राधिकार का उपयोग करते हुए हस्तक्षेप करने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि ऐसा करने से सामाजिक असंतुलन खड़ा हो सकता है.

एसडीएम ने दो समुदायों के विवाद को रोकने के लिए किसी भी धर्मस्थल पर इन उपकरणों को न लगाने का आदेश जारी किया था. लाउडस्पीकर पर पहले ही रोक लगी थी, लेकिन जौनपुर के बद्दोपुर के रहने वाले मशरुर अहमद और  मुस्लिम समाज के अन्य लोगों ने अपील की थी कि इसको हटाया जाए. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस रोक को बरकरार रखा है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंदिर और मस्जिद में लाउडस्पीकर बजाने को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका पर उत्तर प्रदेश के गृह सचिव, मुख्य सचिव और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के प्रमुख को तलब किया था. हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किया था कि लाउडस्पीकर बजाने के लिए किसका आदेश है. इसके बाद सरकार ने धर्मस्थलों, सार्वजनिक जगहों, जुलूसों और जलसों में बिना इजाजत लाउडस्पीकर बजाने पर रोक लगा दिया था.

बता दें, ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून, 2000 पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 की 5वीं धारा मनमाने ढंग से बजने वाले लाउडस्पीकर और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले यंत्रों पर अंकुश लगाता है. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र बजाने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेने का प्रावधान है. इसी रोक को हटाने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की गई थी जिस पर सुनवाई करने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया.

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