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UP: 7 साल पुराना वो मामला, जिस पर स्वामी प्रसाद के खिलाफ जारी हुआ गिरफ्तारी वारंट

यूपी सरकार के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के खिलाफ एक गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. कल ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने योगी कैबिनेट व बीजेपी से इस्तीफा दिया था. यह मामला सात साल पुराना है, जिसमें वारंट जारी हुआ है.

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स्वामी प्रसाद मौर्य.   (File)
स्वामी प्रसाद मौर्य. (File)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अदालत में हाजिर न होने पर कोर्ट ने पहले भी जारी किया था गिरफ्तारी वारंट
  • 2014 में देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी का है मामला

पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के योगी मंत्रिमंडल व बीजेपी से इस्तीफे के बाद उठे सियासी तूफ़ान के बीच सुल्तानपुर जिले से एक गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. यह वारंट 7 साल पुराने मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ जारी हुआ है. साल 2014 में देवी देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में आज बुधवार को पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य अदालत में हाजिर नहीं हुए.

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इस पर अपर मुख्य दंडाधिकारी एमपी-एमएलए ने आरोपित पूर्व केन्द्रीय श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ पूर्ववत जारी गिरफ्तारी वारंट को जारी करने का आदेश दिया. अब इस मामले में 24 जनवरी 2022 को सुनवाई होगी. बता दें कि साल 2014 में बसपा महासचिव रहने के दौरान लखनऊ की एक जनसभा में स्वामी प्रसाद मौर्या ने देवी देवताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी, जिस पर जमकर हंगामा हुआ था. इसको लेकर सुल्तानपुर जिले के परिवादी अनिल कुमार तिवारी ने अदालत में उनके खिलाफ परिवाद दायर कर दिया था.

अधिवक्ता अनिल तिवारी ने बताया कि 2014 में मैंने एक परिवाद स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दाखिल किया था, क्योंकि उन्होंने देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी की थी, इसमें कोर्ट ने इनको 195ए में तलब किया था. स्वामी प्रसाद ने जिला न्यायालय में रिवीजन किया था. जिला न्यायालय द्वारा इनका रिवीजन निरस्त कर दिया गया था. 

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जारी किया गया था गैर जमानती वारंट

अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कहा कि रिवीजन निरस्त होने के बाद एनबीडब्ल्यू यानी गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. इस एनबीडब्ल्यू के खिलाफ स्वामी प्रसाद हाई कोर्ट गए. हाई कोर्ट में स्टे मिल गया और तब से यह फाइल सुल्तानपुर न्यायालय में विचाराधीन चल रही थी. चूंकि सुप्रीम कोर्ट में 6 माह से ज्यादा समय से जारी स्टे समाप्त समझा जाएगा. इस तरह एमपी एमएलए कोर्ट ने एक आदेश जारी किया और 12 जनवरी को न्यायालय में तलब होने का आदेश दिया. आज 12 जनवरी वह उपस्थित नहीं थे यह पूर्ववत एनबीडब्ल्यू इन्हें फिर से जारी कर दिया गया और अगली सुनवाई 24 जनवरी के लिए तय कर दी गई.

देवी देवताओं के खिलाफ की थी अभद्र टिप्पणी

इस मामले में गवाह तेज बहादुर सिंह कहते हैं कि यह 2014 की बात है, जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के महासचिव थे. लखनऊ में उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने देवी देवताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी. उसके खिलाफ हम लोगों ने एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें अनिल तिवारी परिवादी थे. मैं और हमारे सहयोगी श्रवण पांडे ने बयान दिया था.

मामले के दूसरे गवाह ने क्या कहा ?

मामले के दूसरे गवाह श्रवण कुमार पांडे ने बताया कि स्वामी प्रसाद मौर्य  ने जनसभा के दौरान देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा था कि शादी विवाह में गौरी गणेश की पूजा नहीं करना चाहिए. इसको लेकर अनिल तिवारी द्वारा एक परिवाद दायर किया गया. इसमें गवाह के रूप में मैंने गवाही दी थी. इसके बाद स्वामी प्रसाद को कोर्ट ने तलब कर लिया. मामले में एलबीडब्ल्यू जारी हुआ. एनबीडब्ल्यू जारी होने के बाद स्वामी प्रसाद हाई कोर्ट गए. 

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6 जनवरी को एमपी एमएलए जज पीके जयंत ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए उस आदेश को खत्म कर दिया. 12 जनवरी को तलबी कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया. 12 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य अदालत में हाजिर नहीं हुए. इसलिए अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है.

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