उत्तर प्रदेश लॉ कमीशन ने गुरुवार को धर्मांतरण को लेकर एक रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी है. धर्मांतरण की गाइडलाइन को लेकर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि धर्मांतरण के लिए नियम कायदे क्या होने चाहिए. सरकार के सूत्रों के मुताबिक लॉ कमीशन समय-समय पर अपनी रिपोर्ट सरकार को देती है और यह उसी तरीके की एक रिपोर्ट है.
इस बारे में यूपी के लॉ कमीशन चीफ जस्टिस आदित्य नाथ मित्तल ने कहा, भारतीय संविधान ने धर्म का प्रयोग करने की स्वतंत्रता दी है लेकिन कुछ एजेंसियां इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रही हैं. वे लोगों को शादी, बेहतर नौकरी और जीवन शैली के बहाने धर्म परिवर्तन करने का लालच देते हैं.
Justice Aditya Nath Mittal, UP State Law Commission Chief: We don't have any existing provisions to stop such conversions. That's why we have recommended new legislation to stop religious conversions, submitted the report to Uttar Pradesh Chief Minister. (2/2) https://t.co/no4XsYdVHz
— ANI UP (@ANINewsUP) November 21, 2019
जस्टिस मित्तल ने कहा, ऐसे धर्मांतरणों को रोकने के लिए हमारे पास कोई मौजूदा प्रावधान नहीं है. इसलिए हमने धर्मांतरण को रोकने के लिए नए कानून की सिफारिश की है. इस बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी है.
धर्मांतरण कानून के दायरे में आएंगे ये
धर्मांतरण पर जो रिपोर्ट सौंपी गई है, उसका नाम दिया गया है- यूपी फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट. इस नए एक्ट के तहत एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन कराने के लिए में अगर कोई व्यक्ति किसी भी तरह का लालच, जबरदस्ती, ताक़त का इस्तेमाल करता है या फिर धर्म परिवर्तन के लिए बहलाता-फुसलाता या उकसाता हुआ पाया जाता है तो है तो वो दंड का भागी होगा.
किसी भी तरह के पैसे का लालच, पद का लालच, नौकरी का लालच, स्कूलों या शिक्षण संस्थानों में दाखिले का लालच भी धर्मांतरण के नए नियम के दायरे में आएगा. इसके साथ ही शादी के लिए गलत नियत से धर्म परिवर्तन या धर्म परिवर्तन के लिए की जा रही शादियां भी नए नियम में धर्मांतरण कानून के तहत आएंगी. अगर कोई किसी को धर्म परिवर्तन करने के लिए मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना देता है तो वह भी इस नए कानून के दायरे में आएगा.
खास बात है कि अगर धर्मांतरित हुआ व्यक्ति तुरंत ही वापस अपने पहले के धर्म में लौट आता है तो वह धर्मांतरण के दायरे में नहीं आएगा. लॉ कमीशन के इस नए ड्राफ्ट में कड़े कानून की अनुशंसा की गई है. धर्मांतरण के मामले में अगर मां, पिता, भाई, बहन, पति, पत्नी या गोद लिए हुए बच्चे अथवा ब्लड रिलेशन से कोई शिकायत करता है तो उनकी शिकायत पर कार्रवाई की शुरुआत की जा सकती है.
लॉ कमीशन ने अपनी सिफारिश में धर्मांतरण के लिए दोषी पाए जाने पर 1 साल से लेकर 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया है. धर्मांतरित होने वाले व्यक्ति को धर्मांतरण के पहले 1 महीने का नोटिस प्रशासन को देना होगा, जिसका एक नोटिस सार्वजनिक तौर पर डीएम कार्यालय में चिपकाया जाएगा. साथ ही धर्मांतरण की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को 21 दिनों के अंदर जिलाधिकारी के सामने प्रस्तुत होकर अपना पक्ष रखना होगा कि उन्होंने यह धर्मांतरण बिना किसी लालच दबाव या प्रभाव में किया है.