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वाराणसी: गंगा घाट पर 'शंकर-गणेश' बनकर पैसे मांगने वाले बच्चों का बदलेगा जीवन

काशी के गंगा घाट पर अक्सर भीख मांगते बच्चों का पूरा जीवन इसी तरह बीत जाता है. ऐसे में एक संस्था ने इन बच्चों और उनकी मांओं के लिए एक योजना बनाकर पहल शुरू की है. इसके तहत इन बच्चों को शिक्षा और इनकी मांओं को हाथ का काम सिखाया जा रहा है.

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Varanasi
Varanasi
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिव- गणेश बनकर पैसे मांगते थे बच्चे
  • भीख मांगकर गुजारा करती थी महिलाएं

उत्तर प्रदेश में अब चुनाव का कारवां काशी की ओर बढ़ चला है. काशी के घाट पर कभी शंकर तो कभी गणेश के वेश में घूमते बच्चों को सबने देखा होगा. लोग उनके साथ फोटो खिंचवाते हैं और उन्हें बदले में 10 रुपए देते हैं. अक्षर ज्ञान से दूर इन बच्चों का पूरा जीवन इसी में बीत जाता था, पर अब एक संस्था ने इन बच्चों को पढ़ाने और इनकी मांओं को हाथ का हुनर सिखाने की जिम्मेदारी उठाई है. संस्था ने मिशन बनारस नाम से प्रोजेक्ट चलाकर इन बच्चों को न सिर्फ पढ़ाने का जिम्मा लिया है बल्कि 'beggars Corporation' बनाकर इनकी मांओं को रोजगार देने के लिए भी पहल कर रही है.

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बनारस के ‘बंगाली टोला’ इलाके की संकरी गली में बने कमरे में बच्चों की क्लासरूम और महिलाओं के लिए सिलाई का केंद्र तैयार किया गया है.

महिलाएं अपनी सुविधा के हिसाब से यहां आती हैं. उनको भीख मांगने के मुक़ाबले इस सम्मानजनक काम को लेकर जागरूक करना काफी मुश्किल होता है लेकिन इस क्षेत्र के युवा और केंद्र के संचालन में जिम्मेदारी निभाने वाले लोग इस मुश्किल काम को करते हैं. इन केंद्रों में बच्चों की संख्या धीरे- धीरे बढ़ने लगी है, जो ये बताता है कि कहीं न कहीं इनकी मेहनत सार्थक हो रही है. 
 
सामाजिक कार्यकर्ता निक्की विश्वास ने बताया कि इन महिलाओं और काशी के भीख मांगने वाले अन्य लोगों को रोजगार देने के लिए ये मुहिम चलायी गयी है. अब कई बड़े संगठन भी इनका हौसला बढ़ाने के लिए इनको मौका देना चाहते हैं. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति में इस बार जो बैग दिए गए वो इन्हीं महिलाओं ने सिले थे. एक अन्य कार्यकर्ता देव ने कहा- जाहिर है कि काशी में इन लोगों को सम्मान मिलने और उनको शिक्षित कर मुख्यधारा में लाने से न सिर्फ इनकी जिंदगी बदल रही है बल्कि काशी की तस्वीर भी बदल रही है.

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