उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सरकार करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा रही है. लेकिन स्मार्ट सिटी बन रहे लखनऊ की ट्रैफिक व्यवस्था बदहाली का शिकार है. बदहाली का आलम यह है कि बीते 1 साल के करीब 7 लाख चालान लखनऊ ट्रैफिक पुलिस के पास धूल फांक रहे हैं.
कहीं गलत पता तो कहीं गलत मोबाइल नंबर की वजह से चालान, गाड़ी मालिक के घर तक पहुंच नहीं पा रहे, तो वहीं कई कार वालों के पास हेलमेट नहीं पहनने का और कई बाइक वालों के पास सीट बेल्ट नहीं लगाने के चालान पहुंच रहे हैं.
मोहनलालगंज के सिसेंडी में रहने वाले दिलराज सिंह हों या फिर लखनऊ के वजीरगंज गोलागंज में रहने वाले इरफान अली. दोनों का दर्द अलग-अलग है लेकिन दर्द देने वाला एक. दिलराज सिंह के पास लखनऊ कमिश्नरेट के ट्रैफिक मुख्यालय से ₹7500 का एक चालान पहुंचा. चालान पर डीसीएम ट्रक की फोटो लगी थी. फोटो पर डीसीएम ट्रक का नंबर UP 32 cz 9221 लिखा था. लेकिन चालान पर नंबर उनके ट्रैक्टर UP 32 CN 9221 लिखा था. यानी e-challan में फोटो डीसीएम की थी लेकिन नंबर ट्रैक्टर का चढ़ा था.
हेलमेट नहीं पहनने पर चालान
कुछ ऐसे ही शिकायत वजीरगंज के गोलागंज में रहने वाले इरफान अली की भी है. बीती 11 अप्रैल 2021 को इरफान अली की कार UP 32 BH 3707 पर हेलमेट नहीं पहनने का चालान काटा था.
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इंदिरा नगर के सेक्टर-11 में रहने वाले दीपक महाजन के पास भी 2 साल पहले ऐसा ही चालान पहुंचा था. उनकी कार (यूपी 32 KX 9092) को टू व्हीलर लिख हेलमेट नहीं पहनने का ₹500 का चालान भेजा गया.
यह तो बानगी भर हैं. बीते 2 सालों में लखनऊ में तमाम ऐसे लोग मोबाइल चालान के जंजाल को झेल रहे हैं जिनकी बाइक पर सीट बेल्ट नहीं पहनने का चालान पहुंच रहा और कार वालों के पास हेलमेट नहीं पहनने पर चालान भेजा जा रहा.
दूसरी तरफ अप्रैल 2020 से अगस्त 2021 तक 6 लाख 80,000 चालान ऐसे हैं जो भेजे नहीं जा सके. बीते जून महीने तक यह संख्या 8 लाख थी. लेकिन जुलाई में लगी लोक अदालत में साल 2021 के अप्रैल मई-जून के चालान का निस्तारण हो गया, लेकिन अभी भी लगभग 7 लाख चालान पेंडिंग हैं.
फोटो अपलोड करने में होती है गड़बड़ीः DCP
एक तरफ 7 लाख के लगभग चालान की पेंडेंनसी तो दूसरी तरफ घरों पर पहुंच रहे गलत ई-चालान पर हमने लखनऊ के डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तर से सवाल किया. रईस अख्तर का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ स्थानीय पुलिस भी चालान करती है. एक साथ कई गाड़ियों की फोटो खींच ली जाती है और उस फोटो अपलोड करने में गड़बड़ी के चलते ऐसी शिकायतें सामने आती हैं. ऐसी शिकायतें सामने आने पर एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित है जिसमें डीसीपी ट्रैफिक, ट्रैफिक इंस्पेक्टर ई-चालान और एसीपी ई-चालान सदस्य हैं, जिनके द्वारा शिकायत मिलने पर उस चालान को कैंसिल कर दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि 1 महीने में करीब 70 से 80 ऐसे गलत मिले चालान को कैंसिल किया जाता है. बीती 12 अगस्त को ऐसे 35 चालान कैंसिल हुए तो 31 अगस्त को 18 चालान कैंसिल किए गए. दूसरी तरफ डीसीपी ट्रैफिक का कहना है कि गलत ई-चालान की शिकायतें 1 साल पहले तक ज्यादा आ रही थीं. अब इनमें कमी आती जा रही है.
वहीं करीब 7 लाख ई-चालान लोगों के घरों तक नहीं पहुंचा पाने के पीछे बताया गया लखनऊ ट्राफिक पुलिस लाइन में सिर्फ 9 पुलिसकर्मी रोजाना होने वाले 1200 ई चालान को कंप्यूटर पर काट रहे हैं. ऐसे में पेंडेंनसी बढ़ना लाजमी है, लेकिन अब कोशिश की जा रही कि रोजाना चालान को चलाया जा सके और धीरे-धीरे पेंडेंसी के बैकलॉग को भी खत्म किया जा सके.