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अफसर को हड़काने से लेकर वकील के उत्पीड़न तक... कब-कब विवादों में रहे दिनेश खटीक

जलशक्ति विभाग के अधिकारियों के रवैये परेशान होकर दिनेश खटीक ने मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की है. हालांकि अभी तक इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ लेकिन वह मीडिया हेडलाइन जरूर बन गए. यह पहला मौका नहीं है, जब दिनेश खटीक चर्चा में हैं.

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जलशक्ति विभाग के मंत्री दिनेश खटीक
जलशक्ति विभाग के मंत्री दिनेश खटीक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जलशक्ति विभाग के राज्य मंत्री हैं दिनेश खटीक
  • अमित शाह को भेजा था अपना इस्तीफा

मेरठ की हस्तिनापुर सीट से बीजेपी विधायक और जलशक्ति विभाग के राज्य मंत्री दिनेश खटीक आजकल चर्चाओं में है. अधिकारियों के रवैये परेशान होकर दिनेश खटीक ने मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की है. हालांकि इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ लेकिन वह मीडिया हेडलाइन जरूर बन गए. यह पहला मौका नहीं है, जब दिनेश खटीक चर्चा में हैं. 

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राज्य मंत्री दिनेश खटीक कई बार विवादों में रह चुके हैं. कभी किसी को हड़काने का ऑडियो वायरल हुआ तो एक अधिवक्ता की आत्महत्या के मामले में भी उनको आरोपी बनाया गया. दिनेश खटीक पहली बार 2017 में विधायक बने. विवादों में रहने के बावजूद उनको 2022 में भी विधानसभा का टिकट मिला और वह चुनाव जीते.

दिनेश खटीक राजनीतिक सफर

1994 : फलावदा, मेरठ में संघ के खंड कार्यवाह
2006 : विहिप व बजरंग दल में काम किया
2007 : मेरठ भाजपा के जिला मंत्री बने
2010: मेरठ भाजपा के जिला उपाध्यक्ष
2013: मेरठ भाजपा के जिला महामंत्री
2017: हस्तिनापुर से विधायक बने, फिर बाढ़ और जलशक्ति राज्यमंत्री बने 
2022: हस्तिनापुर से दोबारा विधायक बने ओर जलशक्ति राज्यमंत्री बने

कौन हैं दिनेश खटीक?

बताया जाता है कि दिनेश खटीक के दादा बनवारी खटीक जनसंघ से जुड़े थे. पिता देवेंद्र कुमार भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे हैं. इसीलिए दिनेश खटीक पर बचपन से ही संघ की विचारधारा की छाप रही और वे उससे जुड़े. उनके छोटे भाई नितिन खटीक 2016 से 2021 तक जिला पंचायत सदस्य रहे हैं.

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दिनेश खटीक 2017 में भाजपा के टिकट पर हस्तिनापुर विधानसभा से चुनाव लड़े. 2017 में बसपा के योगेश वर्मा को हराकर वह दलित चेहरे के रूप में उभरे और उनको इसका इनाम भी मिला. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें मंत्री बनाया गया था. 2022 का भी चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट से लड़ा. चुनाव जीते और मंत्री पद बरकरार रहा. 

विवादों में कब-कब रहे दिनेश खटीक?

2017 में दिनेश खटीक पर एक बिजली के अधिकारी को हड़काने का आरोप लगा, जिसका ऑडियो भी वायरल हुआ. इसके बाद मेरठ में 13 फरवरी 2021 को गंगानगर थानाक्षेत्र के मीनाक्षी पुरम निवासी वकील ओंकार सिंह ने आत्म्हत्या कर ली थी. पुलिस को मौके से जो सुसाइड नोट मिला, उसमें लिखा था कि भाजपा विधायक दिनेश खटीक उत्पीड़न कर रहे हैं.

इससे पहले बीजेपी विधायक दिनेश खटीक पर 16 अगस्त 2018 को मेरठ के मवाना थाने के इंस्पेक्टर को धमकाने का आरोप लगा था. दिनेश खटीक राजनीति के साथ प्रॉपर्टी और रियल स्टेट का भी काम करते हैं. दावा किया जाता है कि दिनेश खटीक की पर्दे के पीछे या आगे बहुत सी कॉलोनियों में हिस्सेदारी है.

FIR न होने पर मंत्री पद छोड़ने की दी थी धमकी

अभी हाल में करीब एक महीने पहले ही दिनेश खटीक का गंगानगर थाने में इंस्पेक्टर द्वारा मुकदमा दर्ज न होने पर विवाद हुआ था. तब मंत्री रात भर थाने में बैठे रहे और पीड़ित की एफआईआर दर्ज नहीं हुई. थाने में सुनवाई न होने पर मंत्री दिनेश खटीक ने उस समय मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी दी थी. इसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ था.

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दरअसल, यह पूरा मामला एक एक्सीडेंट की घटना से जुड़ा है. मेरठ के मवाना रोड पर शादी समारोह में टेंट लगाने का काम करने वाले कोमल की 4 तारीख को गंगानगर के ही ईस्ट डिफेंस कॉलोनी निवासी कॉन्स्टेबल विकास व उसके साथी आकाश की कार और मोटरसाइकल में टक्कर हो गई थी  और दोनों पक्षों की कहासुनी हो गई.

घटना की जानकारी 112 पर भी दी गई लेकिन मामला निपट गया. अगले दिन इसकी शिकायत कराने टेंट व्यापारी थाने पहुंचा. उसने तहरीर में पुलिस कांस्टेबल पर जाति सूचक शब्द और ₹4000 छीनने की बात कही गई. उसकी तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. इसके बाद राज्य मंत्री दिनेश खटीक से टेंट व्यापारी ने शिकायत की.

मंत्री दिनेश खटीक ने गंगानगर थानेदार राजपाल सिंह को फोन कर मुकदमा दर्ज करने की बात कही. गंगा नगर थाना इंस्पैक्टर ने तहरीर में लगाए गए आरोप को गलत ठहराते हुए मुकदमा करने से इंकार कर दिया. थानेदार ने कहा कि मामला लूट का नहीं है सिर्फ वाहन टकराने पर विवाद हुआ था, जिसके बाद रात में ही राज्य मंत्री दिनेश खटीक गंगानगर थाने पहुंचे.

मंत्री दिनेश खटीक और थानेदार की भी कहासुनी हो गई, जिसके बाद वहां सीओ पहुंचीं और मंत्री को समझाया गया कि जांच कर मुकदमा दर्ज कर लिया जाएगा, जिसके बाद मंत्री दिनेश खटीक मेरठ के जिलाधिकारी से मिले. विवाद बढ़ा तो मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा. बाद में मंत्री ने इस्तीफे की धमकी दी. इसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ.

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