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RSS की शाखा लगाकर सुर्खियों में आए अशफाक सैफी बने यूपी अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आगरा में शाखा लाकर सुर्खियों में आए अशफाक सैफी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है. सैफी ने सोमवार को अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के तौर पर लखनऊ पदग्रहण कर लिया है. 

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यूपी अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन अशफाक सैफी
यूपी अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन अशफाक सैफी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष बने अशफाक सैफी
  • आरएसएस की शाखा लगाकर सुर्खियों में आए थे सैफी
  • अशफाक सैफी बीजेपी के साथ 32 सालों से जुड़़े हैं

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं को खुश करने में जुट गई है. ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आगरा में शाखा लाकर सुर्खियों में आए अशफाक सैफी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है. सैफी ने सोमवार को अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के तौर पर लखनऊ में पदग्रहण कर लिया है. 

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आगरा के जगदीशपुरा क्षेत्र के निवासी अशफाक सैफी शुरू से बीजेपी से जुड़े हुए हैं. नब्बे के दशक में राममंदिर आंदोलन के दौरान  संघ में शामिल होकर सैफी सुर्खियों में आए थे. इसके चलते मुस्लिम समुदाय के निशाने पर भी आ गए थे, लेकिन न तो उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ा और न ही संघ से अपना प्रेम खत्म किया है. ऐसे में अब योगी सरकार ने अशफाक सैफी को यूपी अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बनाया है.

अशफाक सैफी के जरिए आरएएस ने यूपी के मुस्लिम समुदाय को सियासी संदेश देने की कवायद की है कि बीजेपी और संघ मुसलमानों को साथ लेकर चलने के लिए तैयार है. आरएसएस और बीजेपी अपने इस सियासी मकसद में कामयाब हो पाएगी या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. हालांकि, अशफाक सैफी अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बनाकर बड़ा सियासी दांव चल दिया है. 

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अशफाक सैफी राममंदिर आंदोलन के दौरान महज एक बार आरएसएस की शाखा लगाकर नजर में आए थे. इसके बाद बीजेपी से जुड़ गए और पार्टी ने उन्हें वार्ड अध्यक्ष नियुक्त किया था. अशफाक सैफी ने सियासी तौर पर फिर मुड़कर नहीं देखा और भाजपा की जिला एवं शहर स्तर की इकाई में सक्रिय रहे हैं.

अशफाक सैफी बीजेपी के अल्पसंख्यक मंडल से प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय संगठन में अपनी जगह बनाई. उनकी सक्रियता को देखते हुए मौलाना आजाद उर्दू अकेडमी का सदस्य भी बना दिया था और बाद में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई. संघ नेता इंद्रेश कुमार के साथ भी अशफाक सैफी के गहरे रिश्ते हैं. 

इंद्रेश कुमार जब आगरा आते हैं तो सैफी उनकी खातिरदारी में दिखाई दिए. ऐसा प्रतीत होता है कि सैफी को उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बनाने में इंद्रेश का बहुत बड़ा योगदान रहा होगा. वह बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चे में विभिन्न पदों पर तैनात रह चुके हैं. अशफाक सैफी पिछले 32 साल से बीजेपी से जुड़े हुए हैं, जिसके चलते पार्टी ने बड़ा तोहफा दिया है. 

अशफाक सैफी ने कहा कि भाजपा ने एक छोटे से कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है, मैं पूरी ईमानदारी और मेहनत से अल्पसंख्यक वर्ग के हितों की योजनाओं को मूर्त रूप देने का काम करूंगा. मैं अल्पसंख्यक वर्ग के विकास के लिए रोजगार, शिक्षा के लिए काम करूंगा, क्योंकि मुस्लिम समुदाय शिक्षा के स्तर में काफी पीछे है. इसके अलावा मुस्लिम हितों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है.

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