देश को आजाद हुए छह दशक से ज्यादा का समय बीत गया. तब धर्म के नाम पर सियासत ने देश को टुकड़ों में बांट दिया. खून की नदियां बही और धर्म को राजनीति से दूर रखने की कस्में खाई गईं, लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि तब से लेकर आज तक और अब मौजूदा सियासत में भी धर्म एक बार फिर मुद्दा है और राजनीति जारी है. यह सत्ता की राजनीति का दोहरा चरित्र ही है जो एक ओर गीता के उपदेश और राष्ट्र ग्रंथ बनान चाहता है, वहीं संसद से सड़क तक धर्मांतरण के मुद्दे पर नई बहस छिड़ी हुई है. बीते दिनों आगरा में हवन कुंड की लपटों ने सियासत का महौल गर्म कर दिया तो अब यूपी के कुशीनगर में मोमबत्ती की लौ इसे नया रंग देने में जुट गई है.
दरअसल, कुशीनगर में शनिवार को 27 हिंदुओं को ईसाई बनाए जाने का मसला सामने आया है. घटना जिले के कपटहेरवा थाना क्षेत्र के गंगुआ गांव की है. बताया जाता है कि रविवार को इन लोगों को ईशु की पूजा करते हुए देखा गया. जाहिर तौर पर यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब देश का राष्ट्रवादी धड़ा हिंदुओं की 'घर वापसी' कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. बताया जाता है कि हिंदू से ईसाई बने कुशीनगर के ग्रामीण बिहार के क्रिश्चन मिशनरी से संपर्क में हैं.
जानकारी के मुताबिक, धर्मांतरण के लिए लोगों को गांव के ही दिलीप गुप्ता ने प्रेरित किया है. कुशीनगर से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर योगी आदित्यनाथ का गोरखनाथ मठ है. लिहाजा, रविवार को बीजेपी सांसद के दर्जनभर समर्थक गांव पहुंचे. हालांकि इस बाबत पहले ही जानकारी मिल जाने के कारण सभी 27 लोग पहले ही गायब हो गए.
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को एक बार फिर धर्मांतरण और घर वापसी पर अपनी राय देते हुए इसे सही बताया है. यही उन्होंने स्पष्ट कहा है कि 25 दिसंबर को अलीगढ़ में बड़े स्तर पर 'घर वापसी' की तैयारी है, जहां हिंदू से मुस्लिम और ईसाई बने लोगों को वापस हिंदू बनाया जाएगा.
गांव के कुछ लोगों ने बताया कि सभी 27 लोग अभी कुछ दिनों तक गांव से दूर ही रहेंगे. शनिवार को लोगों ने दिलीप गुप्ता के घर से लोगों के गाने की आवाज आई. गांव वाले घर के निकट पहुंचे तो उन्होंने देखा कि लोगों के हाथ में बाइबिल थी और उनके सामने ईशु की प्रतिमा. बताया जाता है कि रविवार रात को भी योगी आदित्यनाथ के कई समर्थक गांव आए थे और लोगों की खोजबीन कर रहे थे.