लखनऊ में 7 साल पहले ठेकेदार ऋषि कुमार पांडेय के अपहरण के मामले में गुरुवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस केस में पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के बेटे और महाराजगंज नौतनवां से निर्दलीय विधायक अमन मणि त्रिपाठी को बरी कर दिया है. इस केस में आरोपी बनाए गए अमन मणि के दो साथियों को भी बरी कर दिया गया है.
इस केस में बरी होने से अमन मणि त्रिपाठी की विधायकी भी बच गई. अगर उन्हें मामले में दोषी ठहरा दिया जाता तो उनकी विधायकी खतरे में पड़ सकती थी और उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता था. हालांकि, कोर्ट ने उन्हें इस मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया है.
क्या है मामला?
गोरखपुर के रहने वाले ठेकेदार ऋषि कुमार पांडेय का राजधानी लखनऊ में अपहरण कर लिया गया था. 6 अगस्त 2014 को ऋषि कुमार पांडेय ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें अमन मणि त्रिपाठी और उनके दो साथी संदीप त्रिपाठी और रवि शुक्ला पर अपहरण, फिरौती मांगने और जान से मारने की धमकी देने की धाराओं में केस दर्ज कराया था.
एक कोर्ट ने 28 जुलाई 2017 को अमन मणि, संदीप त्रिपाठी और रवि शुक्ला पर ऋषि कुमार पांडेय की हत्या के लिए अपहरण करने और रंगदारी मांगने के साथ ही जानमाल की धमकी देने के आरोप तय किए थे. लेकिन एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए तीनों को बरी कर दिया है.
अमन मणि के माता-पिता, मामा जेल में
9 मई 2003 को कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या हो गई थी. इस मामले में अमन मणि के पिता और पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी को सजा सुनाई गई थी. उनकी पत्नी मधु मणि भी जेल में सजा काट रही हैं. मधुमिता हत्याकांड में कोर्ट ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं, हाल ही में 24 सितंबर को अमन मणि के मामा अश्वनी उपाध्याय को करोड़ों रुपये की हेराफेरी के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया है. वो भी अभी जेल में ही हैं.