उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अब बारी विधान परिषद के चुनाव की है. सूबे में स्थानीय निकाय की 27 एमएलसी सीटों पर चुनाव के लिए शनिवार को मतदान शुरू हो गया है, जहां पर 95 प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. 58 जिलों के 739 बूथों पर 120657 मतदाता वोटिंग कर रहे हैं. लेकिन, एमएलसी के चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया विधानसभा या अन्य चुनाव से पूरी तरह अलग होती है और मतगणना का तरीका भी भिन्न है.
मतगणना की प्रक्रिया कैसे अलग?
एमएलसी चुनाव में मतदान और मतगणना की प्रक्रियाएं बाकी चुनाव से बिल्कुल अलग होती हैं. एमएलसी चुनाव में बैलेट पेपर पर चुनाव निशान नहीं बल्कि कैंडिडेट के नाम होते हैं. बैलेट पेपर पर उम्मीदवार के नाम के सामने मुहर नहीं लगाना होता और न ही किसी तरह का स्केच पेन से मतपत्र पर मूल्यांकन कर मतदान करना होता है. मतदाता अन्य चुनावों में किसी एक प्रत्याशी को वोट देता है, लेकिन विधान परिषद चुनाव में एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वरीयता क्रम में वोट देने का विकल्प रहता है.
विधान परिषद चुनाव में मतदान केंद्रों पर चुनाव कर्मियों द्वारा जो पेन दी जाएगी, उसी के जरिए मतदाताओं को बैलेट पेपर में अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के आगे अंक लिखकर मतदान करना होता है. एमएलसी चुनाव में किसी भी हाल में मतदाता बैलेट पर ना तो हस्ताक्षर कर सकेंगे, ना ही अंगूठे का निशान लगा सकेंगे. मतदाताओं के लिए स्पष्ट निर्देश होता कि वे यदि मतपत्र पर हस्ताक्षर करते हैं या अंगूठे का निशान लगाते हैं तो उनका मत बेकार चला जाएगा. इसीलिए उम्मीदवार मतदाताओं को चुनाव अपने चुनाव प्रचार के दौरान बैलेट पेपर अपने क्रमांक को बताते हैं.
एमएलसी चुनाव में कौन मतदाता
स्थानीय निकाय की विधान परिषद की 27 सीटों पर वोटिंग में आम लोग वोट नहीं करते बल्कि जनता के द्वारा चुने जाने वाले स्थानीय प्रतिनिधि होते हैं. इसीलिए क्षेत्र के सांसद, विधायक, सभी प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी), ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ नगर निगम के पार्षद, मेयर, नगर पालिका व पंचायतों के पार्षद और अध्यक्ष मतदान करते हैं. इसके अलाव एमएलसी भी मतदाता होते हैं. इसीलिए कैंडिडेट सीधे मतदाताओं से संपर्क वोट मांगते हैं.
वोटिंग की तरह मतगणना भी अलग होती है
एमएलसी चुनाव में वोटिंग की तरह मतगणना भी अलग होती है. मतदाता अन्य चुनावों में किसी एक प्रत्याशी को वोट देता है, लेकिन विधान परिषद चुनाव में एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वरीयता क्रम में वोट देना होता है. ऐसे में वोटों की गिनती भी इसी आधार पर होती है.
वरीयता क्रम में होगी वोटों की गिनती
स्थानीय निकाय की 27 एमएलसी सीटों की मतगणना प्रेफरेंशियल (वरीयता) वोटों के आधार पर होगी. प्रथम वरीयता के वोट के आधार पर कोटा का निर्धारण किया जाएगा. कोटा निर्धारण में मान्य वोटों में दो से भाग देकर प्राप्त संख्या में एक अंक जोड़ दिया जाएगा. उदाहारण के तौर पर सौ मान्य वोटों का कोटा 51 निर्धारित होगा. प्रथम गणना में ही 51 वोट या अधिक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाएगा.
वहीं, प्रथम गणना में इससे कम वोट पाने वाले को मतगणना से हटाते हुए उसे प्राप्त दूसरी वरीयता के वोट संबंधित प्रत्याशी के वोट में जोड़ दिए जाएंगे. यह सिलसिला तबतक चलेगा, जबतक किसी उम्मीदवार को जीत के लिए जरूरी वोट न मिल जाए. अगर अंत तक बचे दो उम्मीदवारों में भी किसी को जरूरी वोट नहीं मिले तो चुनाव आयोग ज्यादा वोट लाने वाले को विजेता घोषित कर देगा.