जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों...इसी की हकीकत में मिसाल है बहराइच के घने जंगलों से मिली आठ साल की एक बच्ची. फिलहाल इसका बहराइच के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है. बच्ची को देखकर किसी को भी जंगल बुक का काल्पनिक पात्र 'मोगली' याद आ सकता है. जंगल में लंबे समय से रहने से इसका जीने का ढंग भी जानवरों की तरह ही हो गया. ये वैसे ही चलती, वैसे ही खाती और किसी भी इंसान को पास आते देख चिल्ला उठती है.
बहराइच पुलिस ने बच्ची को दो महीने पहले मोतीपुर रेंज में कतर्निया घाट के जंगल में बंदरों के झुंड से निकाल कर जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. बताया जा रहा है कि जंगल में लकड़ी बीनने गए कुछ ग्रामीणों ने बच्ची को पहली बार बंदरों के साथ देखा. ग्रामीणों ने उसे निकालना चाहा तो बंदर हमलावर हो गए. ग्रामीणों ने फिर पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस ने मुश्किल से बच्ची को सुरक्षित वहां से निकाला.
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ डी के सिंह का कहना है कि दो महीने में बच्ची की हालत में काफी सुधार हुआ है. जिस वक्त पुलिस को ये बच्ची मिली थी तब उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था. बाल और नाखून काफी बढ़े हुए थे. लंबे समय से जंगल में रहने की वजह से बच्ची का व्यवहार बिल्कुल जानवरों जैसा था. इसके शरीर पर इस तरह की खरोंच थी जो जानवरों के साथ खेलने की वजह से हो सकती थी. मेडिकल परीक्षण से बच्ची की उम्र 10 साल लगती है.
बच्ची अब हाथ से खाना सीख गई है लेकिन अब भी इसे प्लेट में खाना दो तो पहले बेड की चादर पर गिरा लेती है. इंसानी भाषा नहीं समझने की वजह से बच्ची के इलाज में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बच्ची की हर वक्त देखभाल के लिए एक आया की 24 घंटे ड्यूटी लगानी पड़ी.
पुलिस के मुताबिक ये पता लगाना मुश्किल है कि इसे जंगल में इस हाल में कौन छोड़ गया. जिला अस्पताल के पूरे स्टाफ का लगाव इस बच्ची के साथ हो गया है. हर एक की यही कोशिश है कि बच्ची जल्दी से जल्दी पूरी स्वस्थ हो जाए.
मिला नया नाम
मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद बहराइच की मोगली गर्ल का हाल-चाल लेने जिला चिकित्सालय पहुंचे डी एम, एस पी. डी एम ने माना बहराइच के लिए नायाब है यह मामला. मोगली गर्ल को जिलाधिकारी ने दिया नया नाम 'वन दुर्गा'.