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यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी ने की 'असल टेंशन' वाले इलाकों की पहचान, बनाई खास रणनीति

उत्तर प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. यूपी बीजेपी ने निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए बैठक कर रणनीति बनाई है, जिसमें सपा के मजबूत गढ़ वाली सीटों की पहचान की है जबकि मुस्लिम बहुल निकाय सीटों पर जीतने की कड़ी चुनौती है?

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भूपेंद्र सिंह चौधरी, योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य
भूपेंद्र सिंह चौधरी, योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य

लोकसभा चुनाव में आपरेशन 'क्लीन स्वीप' में जुटी बीजेपी के लिए नगर निकाय चुनाव लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. उत्तर प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव नवंबर-दिसंबर में होने है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल ने मंगलवार को आगामी निकाय चुनाव पर मंथन किया और जीत के लिए रणनीति तय की है. बीजेपी की नजर सपा के मजबूत गढ़ में सेंधमारी करने की है, लेकिन मुस्लिम बहुल नगर पालिका और नगर पंचायत सीटों पर जीतने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी? 

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पिछले निकाय चुनावों में नगर निगम में तो बीजेपी को एकतरफा जीत मिली थी, लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत का स्वाद कड़वा रहा था. सूबे की सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए नया व्यूह रचने के लिए मंगलवार को भूपेंद्र चौधरी और धर्मपाल सिंह ने प्रदेश पदाधिकारियों के साथ निकाय चुनाव को लेकर पहली बैठक की. प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह की मौजूदगी में पहले से बेहतर प्रदर्शन करने की रूप रेखा बनाई गई.

यूपरी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष व पार्षद चुनाव 2022, यूपी विधानसभा चुनाव के बाद योगी सरकार के लिए पहला बड़ा इम्तेहान माना जा रहा है. बीजेपी किसी भी प्रकार से कोई चूक निकाय चुनाव में नहीं करना चाहती. सूबे की 14 नगर निगमों पर काबिज बीजेपी की नजर इस बार सभी 17 निगमों पर अपना मेयर बनाने की है. इसके साथ ही बड़ी नगर पालिका परिषदों को भी हर हाल में जीतते हुए एक-एक पालिका और नगर पंचायत पर ताकत झोंकने के लिए कहा गया है.

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बीजेपी की नजर सपा के गढ़ पर

निकाय चुनाव में बीजेपी के निशाने पर सपा के मजबूत गढ़ होंगे, जहां नगर पालिका और नगर पंचायत में अपने अध्यक्ष और पार्षद बनाने पर जोर लगाएगी. सपा के गढ़ कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, रामपुर, आजमगढ़ सहित कुछ नगर पालिकाएं जीतने पर खास फोकस रहेगा. इन सभी जिला मुख्यालयों की नगर पालिकाएं जीतने का भी लक्ष्य तय किया गया है और साथ ही जिले की नगर पंचायत सीटों पर जीत का परचम फहराने का टारगेट रखा गया है. इसीलिए सीटों के परिसीमन और वोटर लिस्ट को दुरुस्त कराने के साथ ही आरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं. 

मुस्लिम बहुल सीटें बीजेपी की टेंशन

उत्तर प्रदेश में 2017 के नगर निकाय चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली बीजेपी को अच्छी-खासी सीटों पर हार का भी मुंह देखना पड़ा था. 2017 में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत के अध्यक्ष और पार्षद की कुल 12,644  सीटों में से बीजेपी 8,038 उम्मीदवार खड़े किए थे. इसमें से करीब 33 फीसदी ही सीटें जीत सकी थी. नगर पंचायत और नगर पालिका के अध्यक्ष और सदस्यों में बीजेपी को उन सीटों पर हार झेलनी पड़ी थी, जहां पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में थे. ऐसे में बीजेपी को इस बार भी मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत की टेंशन है. 

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मुस्लिम बहुल अलीगढ़ और मेरठ नगर निगम के मेयर सीट बसपा जीतने में सफल रही थी जबकि सहारनपुर में बीजेपी को बहुत मामूली वोटों से जीत मिली थी. ऐसे ही पश्चिमी अमरोहा, बिजनौर, नजीबाबाद, रामपुर, मुजफ्फरनगर सहित तमाम मुस्लिम बहुल नगर पालिका सीटों पर बीजेपी को करारी मात झेलनी पड़ी थी. ऐसे ही पूर्वांचल में भी बीजेपी को मुस्लिम बहुल शहरी निकाय सीटों पर हार झेलनी पड़ी थी. इसकी वजह यह है कि शहरी क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 40 फीसदी से 60 और 70 फीसदी तक हैं. ऐसे में बीजेपी नई रणनीति पर काम कर रही है. संगठन और सरकार दोनों स्तर पर बीजेपी ने रणनीति बनाई है. 

यूपी में कुल निकाय सीटें

2022 में यूपी की 734 नगर निकायों में चुनाव होने हैं. 2017 में 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका और 438 नगर पंचायतों में चुनाव कराए गए थे. वहीं, इस बार 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका और 517 नगर पंचायतों में चुनाव कराए जाएंगे. इन तमाम नगर निकायों में वार्डों के पार्षदों के लिए भी चुनाव होंगे. इसमें करीब 30 फीसदी सीटों पर मुस्लिम मतदाता काफी अहम और निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी मुस्लिम बहुल शहरी निकाय सीटों पर कुछ मुस्लिमों को उतारने का दांव चल सकती है. 

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निकाय चुनाव के लिए बीजेपी ने योगी सरकार के मंत्रियों को संगठन से समन्वय बनाने के लिए कहा गया है. इस काम के लिए संगठन स्तर पर जल्द ही जिम्मेदारी भी तय होगी. इसके लिए पूरी टीम बनेगी. इससे पहले पार्टी बूथ से प्रदेश स्तर तक सेवा पखवाड़ा मनाएगी. इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने का टारगेट है. सितंबर और अक्टूबर महीने में सेवा पखवाड़े के जरिए बीजेपी निकाय चुनावों का रिहर्सल करेगी. 

 

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