यूपी के 18 जिलों में गांव की सरकार चुनने के लिए वोटर अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. पंचायत चुनाव के पहले चरण में राजनीतिक परिवारों के साथ ही ग्लैमर का कॉकटेल भी नजर आ रहा है. कई दबंगों की दबंगई दांव पर है. राजनैतिक कद का भी फैसला होगा और अपराध से पैदा हुए खौफ के सहारे सफेदपोश होने की कोशिश को लेकर भी जनता अपना फैसला सुनाएगी.
जौनपुर की सिकरारा सीट से पूर्व सांसद और लखनऊ पुलिस के वांटेड धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं. श्रीकला दक्षिण भारतीय होकर भी भोजपुरी बोलकर लोगों से कनेक्ट हो रही हैं और वोट मांग रही हैं. श्रीकला जहां 45 नंबर सिकरारा सीट से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ जौनपुर के दिग्गज दिवंगत नेता पारस नाथ यादव के परिवार की भी साख दांव पर है. पारसनाथ यादव की छोटी बहू बीटेक एमबीए करने के बाद लंदन से नौकरी छोड़कर जौनपुर के वार्ड नंबर 51 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं.
उर्वशी सिंह पारसनाथ यादव के बेटे वेद यादव की पत्नी हैं. उर्वशी के जेठ लकी यादव मल्हनी सीट से विधायक हैं. उर्वशी सिंह लखनऊ से लेकर लंदन तक पढ़ाई और नौकरी कर चुकी हैं. लाखों रुपये की नौकरी के साथ आराम की जिंदगी छोड़ कर वह जौनपुर आईं और राजनीति में हाथ आजमा रही हैं. जौनपुर से ही मिस इंडिया रनर अप रहीं दीक्षा सिंह भी चुनाव मैदान में हैं. दीक्षा, जिले के वार्ड नंबर 26 से चुनाव मैदान में हैं.
हाथरस में देवरानी-जेठानी आमने-सामने
हाथरस में देवरानी और जेठानी चुनावी रणभूमि आमने-सामने हैं. बसपा सरकार में कद्दावर कैबिनेट मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय की पत्नी और दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकीं सीमा उपाध्याय के सामने उनकी ही देवरानी ऋतु उपाध्याय चुनावी चुनौती पेश कर रही हैं. ऋतु, रामवीर उपाध्याय के छोटे भाई मुकुल उपाध्याय की पत्नी हैं. बसपा से निष्कासित रामवीर उपाध्याय के भाई की पत्नी बीजेपी के समर्थन से चुनाव लड़ रही हैं.
पूर्व सांसद ददन मिश्रा की साख दांव पर
पूर्व सांसद ददन मिश्रा की साख भी दांव पर है. ददन मिश्रा श्रावस्ती की गिलौला जिला पंचायत सीट से खुद चुनाव मैदान में हैं. ददन को बीजेपी ने समर्थन दिया है. गौरतलब है कि 2007 में बसपा के टिकट पर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए ददन मिश्रा ने 2012 में बीजेपी से चुनाव लड़ा और जीते. 2014 के लोकसभा चुनाव में सांसद निर्वाचित हुए. ददन मिश्रा 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे.
सियासी कद के साथ बाहुबल का तड़का
पंचायत चुनाव के पहले चरण में सियासी कद के साथ अपराध का खौफ और बाहुबल भी बड़ा फैक्टर होगा. गोरखपुर की बात करें गोरखपुर में प्रधानी के चुनाव पर अपराधिक छवि के लोगों ने ज्यादा दांव लगाया है. ग्राम प्रधान के चुनाव में सौ से अधिक हिस्ट्रीशीटर या तो खुद चुनाव मैदान में हैं या फिर उनके परिजन चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें बड़हलगंज, खोराबार, बेलीपार, गुलरिया, पिपराइच, पीपीगंज, कैंपियरगंज, बांसगांव ऐसे थाना क्षेत्र हैं जहां प्रधान के लिए चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों पर पुलिस की भी नजर बनी हुई है. पिछले दिनों एडीजी जोन गोरखपुर ने पिपरौली से निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए हिस्ट्रीशीटर सुधीर सिंह और उसकी पत्नी अंजू सिंह का पर्चा खारिज कराने के साथ ही ऐसे दागियों पर नजर रखने के लिए कहा था जिनके खौफ से लोग पर्चा दाखिल नहीं कर रहे या वापस ले रहे हैं.