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किसान आंदोलन से  RLD को मिली संजीवनी, वेस्टर्न यूपी में लगा बीजेपी को झटका

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन ने आरएलडी को संजीवनी दे दी है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का पंचायत चुनाव में साफ असर दिखा है, जहां बीजेपी को सियासी तौर पर बड़ा झटका लगा तो आरएलडी को जबरदस्त फायदा मिला है. इतना ही नहीं सपा और बसपा के प्रति मतदाताओं में झुकाव दिखा है. 

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जयंत चौधरी
जयंत चौधरी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मेरठ-बिजनौर में बीजेपी को लगा तगड़ा झटका
  • शामली-बागपत में आरएलडी को सियासी फायदा
  • पश्चिम यूपी में बसपा और चंद्रशेखर की पार्टी आगे

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से एक के बाद एक चुनाव में शिकस्त झेल रहे चौधरी अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के सियासी वजूद पर संकट मंडराने लगे थे. ऐसे में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन ने आरएलडी को संजीवनी दे दी है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का पंचायत चुनाव में साफ असर दिखा है, जहां बीजेपी को सियासी तौर पर बड़ा झटका लगा तो आरएलडी को जबरदस्त फायदा मिला है. इतना ही नहीं सपा और बसपा के प्रति मतदाताओं में झुकाव दिखा है. 
 
मेरठ जिले में हुए जिला पंचायत की सभी 33 सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशी उतारे थे. वहीं, आरएलडी और सपा ने 23-23 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. बसपा ने भी दो दर्जन सीटों पर कैंडिडेट उतार रखे थे. बसपा की ओर से दावा किया गया है कि अब तक घोषित नतीजों में वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. मेरठ की कुल 33 सीटों में से बसपा को 9 सीट पर जीत मिली है जबकि सपा और भाजपा को 6-6 सीटों पर जीत मिल सकी है. यहां आरएलडी ने पांच जिला पंचायत सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि निर्दलीय को 7 सीटों पर जीत मिली है.  

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इसी तरह की स्थिति मुजफ्फरनगर, शामली, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़ और बिजनौर में भी है. मुजफ्फरनगर में आरएलडी को को चार सीटें मिली हैं जबकि बीजेपी को 13, बसपा को 3, आजाद समाज पार्टी को 6 और अन्य को 17 सीटें मिली हैं. निर्दलीय 17 सीटें जीते हैं. इनमें से 12 सीटों पर आरएलडी के कार्यकर्ता जीतकर आए हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें सिंबल नहीं दिया था. इतना ही नहीं, इन सीटों पर आरएलडी ने अपना कोई प्रत्याशी भी नहीं उतारा था, ये सभी मुस्लिम समुदाय से हैं. 

शामली में आरलडी ने बीजेपी को लगभग घुटनों पर ही ला दिया है. भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष और प्रदेश राज्यमंत्री का गृह जनपद के होने के बावजूद 19 सीटों में 8 सीटों पर आरएलडी जीत दर्ज करा चुकी है, जबकि बीजेपी मात्र 6 सीटों पर सिमट गई है. इसके अलावा सात अन्य कैंडिडेट ने जीत दर्ज की है. यह इलाका पूरी तरह जाट और गुर्जर बहुल माना जाता है और किसान आंदोलन की सबसे ज्यादा तपिश भी यहीं पर रही है. 

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बिजनौर में भी बीजेपी को करारी मात मिली है. बिजनौर के जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी को महज 7 सीटें ही मिली हैं जबकि सपा को 20 सीटों पर जीत मिली है. इसके अलावा बसपा 7 और आरएलडी सहित अन्य ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की है. 

बुलंदशहर में भाजपा 12 सीटें लेकर आगे जरूर है लेकिन बागियों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए लगभग सात सीटें जीती हैं, वहीं बसपा ने 6 और सपा और आरएलडी ने 4-4 सीटों पर जीत दर्ज की है. हालांकि, सहारनपुर में इस बार बीजेपी जबरदस्त फायदे में दिख रही है, जबकि बसपा और कांग्रेस को नुकसान हो रहा है. सहारनपुर की कुल 49 सीटों में से बीजेपी 20 सीटें जीती है जबकि बसपा 9, कांग्रेस 7 और अन्य को 5 सीटें मिली हैं. 

हापुड़ में किसान आंदोलन का असर दिखाई दे रहा है, यहां बसपा फाइट में दिख रही है., 19 वार्ड में बसपा को 5, भाजपा को 3, सपा को 2 और अन्य को तीन सीटें मिली हैं. बागपत में आरएलडी और बीजेपी में कड़ी टक्कर देखने को मिली है, लेकिन चौधरी अजित सिंह का पलड़ा भारी है. अमरोहा जिला पंचायत में बसपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, यहां बीजेपी को 8, सपा को 8, बसपा को 9  और अन्य को 2 सीटें मिल रही हैं. 

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