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मुख्तार अंसारी के इलाके मऊ-गाजीपुर में पंचायत चुनाव, इस बार किसका होगा कब्जा?

बाहुबली बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के इलाके मऊ और गाजीपुर जिलों में भी पंचायत चुनाव होने हैं, जहां उनके कई करीबी नेताओं की किस्मत का फैसला होना है.

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मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मुख्तार अंसारी के गृह जिला गाजीपुर में पंचायत चुनाव
  • मुख्तार के कर्मभूमि मऊ जिले में कौन जीतेगा पंचायत चुनाव
  • मुख्तार अंसारी के कई करीबी लड़ रहे हैं पंचायत चुनाव

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चौथे चरण में 17 जिलों में 29 अप्रैल को वोटिंग होगी, जिसके लिए मंगलवार को प्रचार थम जाएगा. इस चरण में बाहुबली बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के इलाके मऊ और गाजीपुर जिलों में भी पंचायत चुनाव होने हैं, जहां उनके कई करीबी नेताओं की किस्मत का फैसला होना है. हालांकि, मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है और योगी सरकार के नकेल कसे जाने के चलते उनके करीबी भी मुख्तार के साथ अपना नाम जोड़ने से कतरा रहे हैं.  

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मुख्तार अंसारी के गृह जनपद गाजीपुर में 16 ब्लॉक, 1238 ग्राम पंचायत और  67 जिला पंचायत सदस्य की सीटें है. इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित है, जिसके चलते कई दिग्गज चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. यहां से मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी सासंद हैं, लेकिन इस बार वो पंचायत चुनाव में किसी तरह का कोई दखल नहीं दे रहे हैं. हालांकि, जिला पंचायत की कुर्सी पर सबसे ज्यादा राज सपा नेताओं ने ही किया है. 

साल 2015 में गाजीपुर जिले से दो यादव प्रत्याशियों के बीच मुकाबला हुआ था, जिनमें सपा की आशा देवी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने सपा के बागी उम्मीदवार धर्मदेव यादव को पराजित किया था. इस बार बीजेपी पूरी ताकत के साथ गाजीपुर पंचायत चुनाव में किस्मत आजमा रही है और उसकी नजर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर है. पिछले चुनाव में मुख्तार अंसारी ने किसी तरह का कोई दखल नहीं दिया था, क्योंकि वो सपा के साथ थे. इस बार मुख्तार के कई करीबी चुनाव मैदान में तो हैं, लेकिन उनका नाम अपने साथ नहीं जोड़ रहे हैं. 

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गाजीपुर में करीब तीन दर्जन हिस्ट्रीशीटरों के परिजन पंचायत चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा पांच सजायाफ्ता अपराधियों ने अपने परिवार की महिलाओं को चुनाव के मैदान उतारा है. प्रदेश के टॉप 10 अपराधियों में शामिल गाजीपुर के शूटरों के परिजन भी चुनाव में अपने चहेतों को समर्थन दे रहे हैं. वहीं, माफिया मुख्तार अंसारी के एक दर्जन से अधिक करीबी प्रधानी के चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें सर्वाधिक मुहम्मदाबाद और भांवरकोल ब्लॉक के उम्मीदवार हैं. 

मुख्तार अंसारी का गृह जनपद भले ही गाजीपुर हो, लेकिन वो मऊ सदर सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं. ऐसे में मुख्तार का सियासी असर मऊ जिले में है. मऊ जिले में पंचायत चुनाव की वोटिंग 29 अप्रैल को है. मऊ जिले में 15 ब्लॉक हैं, जिनमें क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव होने हैं. इसके बाद उन्हीं सदस्यों के द्वारा ब्लाक प्रमुख का चुनाव होगा. मऊ जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट महिला के लिए आरक्षित है. ऐसे में कई दिग्गज नेताओं ने अपने परिवार से महिलाओं को मैदान में उतारा. 

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साल 2005 के चुनाव के बाद से मुख्तार अंसारी ने मऊ के पंचायत चुनाव में किसी तरह का कोई दखल प्रत्यक्ष तौर पर नहीं दिया है. हालांकि, उनके कई समर्थक प्रधान और ब्लॉक प्रमुख चुने जाते रहे हैं. घोसी के पूर्व विधायक सुधाकर सिंह और पूर्वमंत्री व भाजपा के एमएलसी यशवंत सिंह का भी मऊ जिले के पंचायत चुनाव में अच्छा खासा दखल है. 

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साल 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किया गया था. सपा से अंशा यादव दूसरी बार निर्वाचित हुई थीं. हालांकि बाद में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से उर्मिला जायसवाल इस पद पर काबिज हो गईं. इस बार फिर से दोनों चुनावी मैदान में हैं. इस पद पर काबिज होने के लिए हालांकि 1995 के बाद से ही उठापटक का दौर चलता रहा और 2010 में तो काफी विवाद की स्थिति पैदा हुई थी. इसके बावजूद सुनील सिंह चौहान विजेता हुए थे. माना जाता है कि उन्हें बसपा का समर्थन हासिल था. 

 

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