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पंचायत चुनाव: गुजरात बीजेपी ने खींची बड़ी लकीर, क्या यूपी कर पाएगा नतीजों की बराबरी

गुजरात के शहरी निकाय और पंचायत चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड सीटें जीतकर दूसरे बीजेपी राज्यों के सामने बड़ी राजनीतिक लकीर खींच दी. खासकर उत्तर प्रदेश में इसी मार्च और अप्रैल महीने में होने जा रहे पंचायत चुनाव में बीजेपी के लिए गुजरात जैसे नतीजे दोहराने की चुनौती खड़ी हो गई है, जिसके लिए बीजेपी शुक्रवार से गांव-गांव बैठक शुरू कर रही है.

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सीएम योगी आदित्यनाथ और विजय रुपाणी
सीएम योगी आदित्यनाथ और विजय रुपाणी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गुजरात में बीजेपी का 80 फीसदी से ज्यादा सीटों पर कब्जा
  • यूपी में बीजेपी के सामने ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की चुनौती
  • बीजेपी शुक्रवार से गांव-गांव बैठक अभियान शुरू करेगी

गुजरात को बीजेपी की राजनीतिक प्रयोगशाला के तौर पर जाना जाता है. गुजरात का विकास मॉडल ही नहीं बल्कि चुनावी रणनीति का मॉडल भी बीजेपी शासित राज्यों के लिए रोल मॉडल बन रहा है. गुजरात के शहरी निकाय और पंचायत चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड सीटें जीतकर दूसरे बीजेपी राज्यों के सामने बड़ी राजनीतिक लकीर खींच दी है. खासकर उत्तर प्रदेश में इसी मार्च और अप्रैल महीने में होने जा रहे पंचायत चुनाव में बीजेपी के लिए गुजरात जैसे नतीजे दोहराने की चुनौती खड़ी हो गई है, जिसके लिए बीजेपी शुक्रवार से गांव-गांव बैठक शुरू कर रही है.    

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गुजरात में बीजेपी 80 फीसदी सीटें जीती

बता दें कि गुजरात पहला राज्य है, जहां किसी भी दल ने सौ फीसद सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. लोकसभा में लगातार दूसरी बार क्लीन स्वीप करने के बाद महानगरपालिका और ग्रामीण क्षेत्रों के पंचायत चुनाव में बीजेपी 80 फीसदी से ज्यादा सीटें जीतकर आई है. सूबे की सभी 31 जिला पंचायतों में बीजेपी ने कब्जा जमाया है जबकि कांग्रेस 1 भी जिले में अपना प्रमुख नहीं बना सकी है. हालांकि, 2015 के पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने 31 में से 22 जिला पंचायतों पर कब्जा जमाया था और बीजेपी को महज 7 जिला पंचायतें मिली थीं. 

वहीं, 81 नगर पालिकाओं में से 75 में बीजेपी को जीत मिली है. कांग्रेस को केवल तीन नगर पालिकाओं में बहुमत मिला है. तीन नगर पालिकाएं अन्य दल के खाते में गईं. दूसरी तरफ 231 तहसील पंचायतों में से 196 पर बीजेपी ने कब्जा किया जबकि कांग्रेस 33 पर सिमट गई. दो तहसील पंचायतों में अन्य दलों को बहुमत मिला. इससे पहले गुजरात के छह नगर निगम चुनाव में भी बीजेपी ने कब्जा जमाया था. गुजरात के निकाय चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड सीटें जीतकर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी शासित राज्यों के लिए भी एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है. 

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यूपी में गुजरात के रिकॉर्ड की बराबरी की चुनौती
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं. आरक्षण की लिस्ट जारी हो गई है और अप्रैल में चुनावी प्रक्रिया पूरी कर लेनी है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल पूरी तरह से कमर कसकर मैदान में उतर चुके हैं. ऐसे में गुजरात के नतीजे को देखते हुए उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की चुनौती है, क्योंकि अगले साल की शुरूआत में ही विधानससभा चुनाव होने हैं. पिछली बार बीजेपी ने यूपी की 403 सीटों में से 325 सीटों के साथ अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था. पांच साल के बाद कम से कम उसी प्रदर्शन को दोहराने का दबाव रहेगा. ऐसे में पंचायत चुनाव को 2022 के चुनाव का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. 

बता दें कि यूपी में 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए 3051 पदों पर जिला पंचायत सदस्यों के, 826 पदों पर ब्लॉक प्रमुखों के, 75 हजार 855 पदों पर क्षेत्र पंचायत सदस्यों के, 58 हजार 194 पदों पर ग्राम प्रधानों के और 7 लाख 31 हजार 813 पदों पर ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव मार्च-अप्रैल के महीने में होने हैं. ऐसे में बीजेपी पंचायत चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के कवायद कर रही है, जिसके लिए पिछले छह महीने से युद्ध स्तर पर काम करने में जुटी है.

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बीजेपी गांव स्तर पर शुरू कर रही अभियान 

यूपी पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण सूची जारी होने के बाद बीजेपी ने इसे लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है. पार्टी से समर्पित प्रत्याशी को मजबूत करने और गांव, ब्लॉक व जिला पंचायत चुनाव में अपना परचम लहराने के लिए पार्टी ने बूथ स्तर पर पन्ना प्रमुख की पद्धति अपनाने का फैसला किया है. अब तक इसका प्रयोग लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ही पार्टी करती रही है.

पंचायत चुनाव को लेकर जिला, मंडल और जिला पंचायत वार्ड इकाई की बैठक संपन्न होने के बाद बीजेपी अब गांव स्तर पर 5 से 10 मार्च बैठकें करेगी. इस बैठक में बूथ समितियों के पदाधिकारी, बूथ में निवास करने वाले  बीजेपी के मंडल से लेकर प्रदेश स्तर के पदाधिकारी शामिल होगें. पंचायत चुनाव जीतने की रणनीति बनाएगी, जिसमें गांव के सामाजिक समीकरण को समझते हुए सामाजिक टोली और संपर्क टोली गठन की जाएगी. मतदाता सूची के मुताबिक पन्ना प्रमुख का नाम तय किया जाएगा. 

बीजेपी पंचायत चुनाव को लेकर 11 से 18 मार्च तक सभी गांवों चौपाल लगाएगी, जिसमें मतदाताओं को केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी. चौपाल के समापन के बाद गांवों में भ्रमण कर भाजपा कार्यकर्ता प्रधानमंत्री आवास, शौचालय, उज्जवला योजना, प्राथमिक विद्यालयों का सुंदरीकरण, किसान सम्मान निधि तथा आयुष्मान भारत योजना की चर्चा करेंगे. ऐसे में देखना है कि बीजेपी यूपी में इन तमाम प्रयासों से क्या गुजरात के नतीजों की बराबरी कर पाएगी?

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