रेप केस में सजा काट रहे उन्नाव से पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के परिवार का राजनीतिक सफर भी लगभग खत्म होता नजर आ रहा है. आजादी के बाद से ही जिस ग्राम पंचायत पर सेंगर के परिवार का कब्जा था, वो अब हाथ से निकल गई है. यहां पहली बार सेंगर परिवार की बजाय कोई और गांव का प्रधान चुना गया है.
उन्नाव जनपद की सबसे बड़ी और विवादित ग्राम पंचायत में आजादी के बाद से अब तक सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर और उनके परिवार का ही कब्जा रहा है. लेकिन इस ग्राम पंचायत में पहली बार गांव की प्रधानी भी सेंगर परिवार के हाथ से निकल गई है. कुलदीप सेंगर के चिर प्रतिद्वंदी और दुष्कर्म पीड़िता का केस लड़ने वाले दिवंगत वकील के चाचा शिशुपाल सिंह ने प्रधानी का चुनाव जीत लिया है. इस ग्राम पंचायत में अभी कुलदीप सेंगर के छोटे भाई की पत्नी गांव प्रधान हैं.
किशोरी से दुष्कर्म के मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कुलदीप सेंगर का गांव की ग्राम प्रधानी पर देश की आजादी के बाद से कब्जा रहा है. आरक्षण के चलते जब सेंगर परिवार का सदस्य चुनाव नहीं लड़ पाया तो किसी खास को मैदान में उतारकर जीत दर्ज कराई. सेंगर के नाना बाबू वीरेंद्र सिंह 36 साल प्रधान रहे. 1987-88 में कुलदीप सेंगर प्रधान बने थे. 2000 से 2010 तक कुलदीप की मां स्व. चुन्नी देवी प्रधान रहीं थीं. पिछले चुनाव में कुलदीप के छोटे भाई अतुल सिंह की पत्नी अर्चना सिंह प्रधान बनी थीं.
इस बार सेंगर परिवार ने ग्राम पंचायत के चुनाव में खुलकर रुचि नहीं दिखाई. सेंगर परिवार के पुराने प्रतिद्वंदी शिशुपाल सिंह ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने 2,218 वोट हासिल कर अपने प्रतिद्वंदी राम मिलन को 894 वोट से हराया है.