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कोरोना काल में करवाए गए यूपी पंचायत चुनाव ने कई सरकारी शिक्षकों की जान ली. किसी ने ट्रेनिंग के दौरान ही दम तोड़ दिया तो कोई चुनावी ड्यूटी के दौरान चल बसा. सभी के कारण अलग रहे लेकिन मांग सिर्फ इतनी कि समय रहते पीड़ित के परिवार को न्याय दे दिया जाए. उन्हें सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाए.
पंचायत चुनाव में गंवाई जान, नहीं मिली सरकारी सहायता
योगी सरकार ने काफी दवाब में आने के बाद सहायता राशि देने का ऐलान भी किया था. कहा था कि मृत शिक्षक के परिवार की मदद की जाएगी. लेकिन कई महीने बीत चुके हैं और कई परिवार अभी भी मदद की आस लगाए बैठे हैं. उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. उनके परिवार के सदस्य ने जरूर चुनावी ड्यूटी में हिस्सा लेकर सरकारी जिम्मेदारी का निर्वाहन किया, लेकिन अब सरकार उन परिवारों तक मदद नहीं पहुंचा पा रही है.
आजतक ने पश्चिमी यूपी के कई ऐसे शिक्षकों से बात की जिन्होंने खुद भी कोरोना काल में यूपी पंचायत चुनाव में हिस्सा लिया और अपनी आंखों के सामने उन्होंने अपने साथियों को जान गंवाते भी देख लिया. अब ऐसे ही एक शिक्षक हैं मुकेश जो पिछले तीस सालों से बतौर टीचर काम कर रहे हैं. वर्तमान में अलीगढ़ के सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हैं.
योगी सरकार से नाराज शिक्षक
बातचीत के दौरान मुकेश ने कहा कि मेरे पिता और मैं खुद एक टीचर हूं. हमारे लिए तो हमारा काम ही पूजा है, काम ही मंदिर है. जब-जब सरकार को हमारी जरूरत पड़ी, हम तैयार दिखाई दिए. हमने तो सभी जगह काम किया लेकिन जब हमे हमारे काम के पैसे देने की बात आती है, तब कुछ नहीं मिलता. पहले तो सरकार ये मानने को ही तैयार नहीं थी कि इतने शिक्षकों की मौत हुई, बाद में जब दवाब बनाया तो मानी तो जरूर लेकिन अभी तक सभी को सहायता राशि नहीं दी गई.
मुकेश ने इस बात पर जोर दिया है कि लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों की जिंदगी काफी मुश्किल हो गई थी. उन्होंने अपनी तरफ से हर उस परिवार को वादा किया था कि उन्हें सरकारी मदद दी जाएगी जिन्होंने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई. अब सरकार ने हमारी मांग तो मानी है लेकिन अभी तक ठीक तरीके से अमलीजामा नहीं पहनाया गया.
पंचायत चुनाव के दौरान घोर लापरवाही
एक दूसरी शिक्षक ने पंचायत चुनाव के दौरान हुई लापरवाही के बारे में खुलकर बोला है. वे बताती हैं कि मेरी ड्यूटी मेरे पति के साथ लगा दी गई थी. जबकि ये कानून है कि एक ही परिवार के दो सदस्य को चुनावी ड्यूटी में नहीं लगाया जा सकता. लेकिन फिर भी हम गए. वहां पर प्रशासन द्वारा कोई इंतजाम नहीं था. जिन परिवारों ने कोविड से अपने सदस्य खोए थे, उसी परिवार के कुछ लोग बिना मास्क वहां घूम रहे थे. वोट डालने वाले कई लोग भी बिना मास्क के थे. कुछ तो शायद पॉजिटिव थे, लेकिन फिर भी वोट डालने आए. ऐसे में हम अपनी जिंदगी के लिए काफी डरे हुए थे.
शिक्षकों को जल्द टीक लगवाने की अपील
अब कई शिक्षकों के मन में यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर भी आशंका है. जैसी स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान हुई थी, फिर वहीं हालात विधानसभा में कोई नहीं चाहता है. सरकार से अपील की गई है कि समय रहते सभी शिक्षकों को पहले वैक्सिनेट किया जाए. टीका लगने के बाद ही चुनावी प्रक्रिया का शुरू होना जरूरी है.