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यूपी के पीलीभीत में खुरपी साथ लेकर शौच को जाते हैं गांव वाले, गड्ढा खोद कर भरना जरूरी

ग्रामीणों को प्रशासन की ओर से समझाया गया है कि वो जब भी खुले में जाएं तो शौच के बाद खुरपी से गड्ढा खोद कर मल को उसमें दबा दें. इससे मक्खियों के जरिए फैलने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाएगा.

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पीलीभीत में खुरपी साथ लेकर शौच को जाते हैं ग्रामीण
पीलीभीत में खुरपी साथ लेकर शौच को जाते हैं ग्रामीण

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खुले में शौच से भारत को मुक्त कराने (Open Defecation Free) के लिए हर राज्य में अपने-अपने तरीके से प्रयास किए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के सिरसा सरदाह गांव में लोग जब भी खुले में शौच करने के लिए घर से निकलते हैं, तो उनके एक हाथ में पानी की बोतल या लोटा और दूसरे हाथ में खुरपी या कुदाल नजर आती है.

आखिर क्या है ये माजरा? दरअसल, ग्रामीणों को प्रशासन की ओर से समझाया गया है कि वो जब भी खुले में जाएं तो शौच के बाद खुरपी से गड्ढा खोद कर मल को उसमें दबा दें. इससे मक्खियों के जरिए फैलने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाएगा.

प्रशासन को ये कदम इसलिए उठाना पड़ा है, क्योंकि गांव में इक्का-दुक्का घरों को छोड़कर अधिकतर घरों में शौचालय नहीं हैं. इसलिए लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. पीलीभीत के मुख्य विकास अधिकारी दिनेश कुमार सिंह के मुताबिक जिले में 1,87,312 घर ऐसे हैं, जहां शौचालय नहीं हैं.

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सिंह का कहना है कि जिले में जंगल से सटे 94 ऐसे गांव हैं. इनमें 80 फीसदी ग्राम पंचायतों में शौचालय बनाने के लिए सरकारी सहायता का पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंच चुका है. अब भी बड़ी संख्या में शौचालय बनने हैं, इसलिए खुले में शौच के लिए जाने वाले को बीमारी से बचने के लिए एहतियाती कदम उठाने के लिए कहा गया है. हालांकि कुछ गांव वाले इस तरह के निर्देश से नाखुश भी दिखे.

उनका कहना कि खुरपी से ऐसा करते हुए उन्हें अच्छा नहीं लगता लेकिन अधिकारियों की टीम कह गई हैं तो उन्हें मजबूरी में ऐसा करना पड़ता है. वहीं, गांव के प्रधान सोनू ने बताया कि गांव में एक टीम बनाई गई है जो ये देखती है कि निर्देश का पालन हो रहा है या नहीं. सोनू के मुताबिक गांव में घरों में शौचालय नहीं है, जब तक ये बन नहीं जाते तब तक बीमारियों को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है.

बता दें कि पीलीभीत के आसपास जंगल का क्षेत्र होने की वजह से यहां बाघ आने की आशंका भी बनी रहती है. महिलाओं को खुले में शौच जाने की असुविधा से बचाने के लिए गांव में कुछ फट्टे वाले कच्चे शौचालय बनाए गए हैं.

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