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अब चुलबुल पांडे की तरह ड्यूटी करेगी यूपी पुलिस

अगर आने वाले दिनों में आपको उत्तर प्रदेश पुलिस का कोई इंस्पेक्टर फिल्म 'दबंग' के चुलबुल पांडे की तरह जांबाजी से अपराधियों का पीछा करता दिखाई पड़े तो हैरान होने की कोई जरूरत नहीं है.

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अगर आने वाले दिनों में आपको उत्तर प्रदेश पुलिस का कोई इंस्पेक्टर फिल्म 'दबंग' के चुलबुल पांडे की तरह जांबाजी से अपराधियों का पीछा करता दिखाई पड़े तो हैरान होने की कोई जरूरत नहीं है.

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कानून-व्यवस्था के मसले पर लगातार आलोचनाएं झेल रहे यूपी के पुलिस महकमे ने अपनी छवि सुधारने के लिए फिल्मों का सहारा लेने की सोची है. एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) अरुण कुमार ने एक 5 पेज का सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर में कहा गया है कि 'दबंग', 'अब तक छप्पन' और 'सिंघम' जैसी फिल्में पुलिसवालों को दिखाई जाएं.

सर्कुलर में पुलिसवालों को साल 1938 से लेकर अब तक हिट हुई ऐसी फिल्मों से सबक लेने की सलाह दी है, जिनमें पुलिस के रूप में हीरो ने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर अपराधियों और देशद्रोहियों से मोर्चा लिया.

निर्देश में कुछ फिल्मों के नाम भी गिनाए गए हैं. यह बताया गया है कि किस तरह 'शोले' फिल्म में एक रिटायर्ड इंस्पेक्टर ने दोनों हाथ कट जाने के बाद भी दो मामूली लेकिन जांबाज गुंडों की मदद से डाकू गब्बर सिंह का खात्मा किया. इसी तरह फिल्म 'दीवार' का सब इंस्पेक्टर जुर्म की दुनिया में सक्रिय अपने सगे भाई के खिलाफ कानूनी जंग लड़ता है.

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इसके अलावा गिरोहबंद राजनेताओं, माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ फिल्म 'गंगाजल' में पुलिसवाले के संघर्ष, अंतरराष्‍ट्रीय तस्कर और गिरोहबंद अपराधियों को अकेले खत्म करने वाले इंस्पेक्टर की कहानी 'अब तक छप्पन', एक सीमा तक भ्रष्‍ट होने के बावजूद अपराधियों को बेहिचक मिटाने वाले 'दबंग' दारोगा के साथ फिल्म 'सिंघम' के ईमानदार इंस्‍पेक्‍टर की जंग से प्रेरणा लेने की नसीहत दी गई है.

एडीजी अरुण कुमार ने इन हिट फिल्मों का एक विशेष शो नियमित तौर पर पुलिस लाइन के ऑडिटोरियम में आयोजित करने का निर्देश भी दिया है. अरुण कुमार के मुताबिक 'इन फिल्मों से पुलिस कर्मियों को सीख लेने की जरूरत है. इसके अलावा जल्द ही सभी पुलिसवालों के लिए योग और मेडिकल चेकअप कैंप भी लगाए जाएंगे ताकि इनके स्वास्थ्य की पड़ताल की जा सके.'

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