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कत्ल की खबर देने वाले बच्चे को यूपी पुलिस ने दिया 'थर्ड डिग्री' टॉर्चर

ये दास्तां यूपी में पुलिसिया जुल्म की इंतेहा की है. अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने में नाकाम रहने वाली पुलिस का सारा जोर मासूमों और बेगुनाहों पर ही चलता है.

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यूपी पुलिस
यूपी पुलिस

ये दास्तां यूपी में पुलिसिया जुल्म की इंतेहा की है. अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने में नाकाम रहने वाली पुलिस का सारा जोर मासूमों और बेगुनाहों पर ही चलता है.

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ताजा वाकया बरेली के नवाबगंज इलाके के सहोदर नगना गांव का है. यहां रहने वाली 14 वर्षीय प्रियंशी 28 दिसंबर की सुबह सात बजे घर से कोचिंग जाने के लिए निकली थी. रास्ते में हत्यारों ने उसे गन्‍ने के एक खेत में ले जाकर उसके ही दुपट्टे से पीठ पीछे हाथ बांधने के बाद उसका गला काट दिया था. कुछ देर बाद इसी रास्ते से गुजरे गांव के ही 12 वर्षीय रमन ने प्रियंशी की साइकिल को खेत के बाहर खड़ा देखा तो रुक गया.

रमन के मुताबिक साइकिल तो वह पहचान नहीं पाया, लेकिन पास जाकर साइकिल में लगे बैग से उसने किताबें निकालकर देखीं तो पता चला कि साइकिल प्रियंशी की है. प्रियंशी उसकी फुफेरी बहन थी इसलिए उसकी चिंता और बढ़ गई. उसने प्रियंशी को ढूंढा तो उसका शव खेत में पड़ा मिला. रमन ने भागकर अपने घर वालों की इसकी सूचना दी. रमन की यही हिम्मत और जागरुकता उसके गले की फांस बन गई. क्राइम ब्रांच ने रमन को हिरासत में ले लिया. आरोप है कि स्थानीय दरोगा हरपाल सिंह और उनके साथी सिपाहियों ने रात भर रमन पर थर्ड डिग्री आजमाई. बच्चे के दोनों कानों को खींच-खींचकर और दीवारों से रगड़ कर जख्मी कर दिया गया. इसके बाद कुर्सी से बांधकर लटकाया भी.

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रात भर पिटाई करने के बाद भी पुलिस ने उसे नहीं छोड़ा तो रविवार सुबह प्रियंशी के पिता दो दर्जन से ज्यादा गांव वालों को लेकर खुद कोतवाली पहुंचे और पुलिस की कार्रवाई कड़ी नाराजगी जताई. मामला बढ़ता देख पुलिस ने इस पर रमन को उसके परिवार वालों को सुपुर्द कर दिया. रमन को प्रताड़ित करने के मामले में गांव के लोग पुलिस के आला अधिकारियों से शिकायत करने की तैयारी में हैं.

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