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UP में बिजली से बेहाल: अखिलेश से लेकर स्मृति ईरानी तक के गढ़ में संकट, जानें 5 जिलों का हाल

उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती से हाल-बेहाल हैं. गांव से लेकर शहरों तक में कटौती होने से लोगों की रातों की नींद गायब है. इटावा, भदोही, मुरादाबाद, देवरिया और अमेठी के लोगों से आजतक की टीम ने बात की. आईये जानते हैं कि इन इलाकों में बिजली कटौती का क्या हाल है.

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(File Photo)
(File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भदोही, मुरादाबाद, देवरिया, इटावा, अमेठी से रिपोर्ट
  • लोग बोले- ऐसा पहले कभी संकट नहीं देखा

पिछले कई हफ्तों से उत्तर प्रदेश में लगातार बिजली कटौती की जा रही है. गांव से लेकर शहर तक बेहाल हैं. गर्मी के बीच घोषित और अघोषित कटौती परेशानियां बढ़ा रही हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का गढ़ इटावा हो या कालीन नगरी भदोही, मुरादाबाद, देवरिया या फिर फिर स्मृति ईरानी का गढ़ अमेठी. हर जगह बिजली कटौती से हाहाकार मचा हुआ है. आईये जानते हैं कि इन इलाकों में बिजली कटौती का क्या हाल है और बिजली की भीषण कटौती से त्राहिमाम कर रहे लोग क्या कह रहे हैं?

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भदोही: विद्युत कटौती से उद्योग प्रभावित

यूपी के भदोही में भी बिजली आपूर्ति की समस्या बढ़ गई है. जिसका असर कालीन उद्योग पर भी पड़ रहा है. अघोषित बिजली कटौती के कारण कालीन का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. कालीन बुनाई के कार्य से जुड़े कामगारों के मानना है कि अगर इसी तरह बिजली कटौती जारी रहेगी तो उत्पादन में भारी कमी आ सकती है. भदोही जिले में बड़े पैमाने पर कालीन का उत्पादन और निर्यात किया जाता है. 

भदोही में सिर्फ 8 घंटे बिजली सप्लाई

कालीन बुनाई का कार्य बड़ी कंपनियों के साथ ग्रामीण इलाकों में लूम लगाकर किया जाता है. कालीन की बनाई हाथ और इलेक्ट्रिक टूल्स के मदद से की जाती है. जिसके लिए भीषण गर्मी में बुनकरों को पंखे-कूलर से हवा की जरूरत पड़ती है और टूल्स के लिए बिजली की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन, बिजली की कटौती की वजह से बुनाई का काम प्रभावित हो रहा है. बिजली कटौती को लेकर कालीन बुनाई का कार्य कराने वाले भदोही विकास खंड के रमेश मौर्या का कहना है कि उनका ग्रामीण इलाके में कारखाना चलता है, जहां महज आठ घंटे बिजली मिल पा रही है. 

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बुनकरों को काम करने में दिक्कतें आ रहीं

भीषण गर्मी में बुनकरों को पंखे-कूलर की जरूरत पड़ती है लेकिन जब बिजली कटौती हो रही है तो बुनकर कारखाने से बाहर चला जाता है और इससे बुनाई का कार्य प्रभावित होता है. उन्हें तय समय पर कंपनियों को कालीन बुनाई कर देना होता है. लेकिन अगर इसी तरह कटौती होती रही तो कालीन के उत्पादन में कमी आएगी और इसका असर बुनकरों के साथ पूरे कालीन उद्योग को उठाना पड़ेगा. कालीन बुनकर राकेश का कहना है कि वो दिहाड़ी पर मजदूरी करते हैं, लेकिन बिजली कटौती के कारण कार्य कम हो रहा है. इसका असर उनके मजदूरी पर भी पड़ रहा है. सरकार को चाहिए कि बिजली कटौती पर रोक लगाए. 

विभाग बोला- जल्द समस्या ठीक होगी

दूसरी तरफ बिजली कटौती को लेकर विभाग सफाई दे रहा है कि ऊपर से जितनी आपूर्ति मिल रही है उसे उपलब्ध कराया जा रहा है. ऊपर से ही आपूर्ति से संबंधित कुछ दिक्कतें आई हैं. जो अगले तीन-चार दिन में ठीक होने की संभावना है.

मुरादाबाद: बिजली कटौती से लोग कर रहे हैं त्राहिमाम

बिजली कटौती से मुरादाबाद जनपद भी अछूता नहीं है. यहां शहरी क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में 3 से 4 घंटे की कटौती की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्र में 7 से 8 घंटे की कटौती की जा रही है. बिजली विभाग के अनुसार, थर्मल प्लांट में कोयले की कमी की वजह से बिजली के प्रोडक्शन में और कमी आ सकती है. जितनी गर्मी ज्यादा बढ़ेगी, उतनी ही बिजली की डिमांड बढ़ती जाएगी. यही स्थिति रही तो बिजली की कटौती का समय और बढ़ जाएगा. बिजली कटौती का ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्र में देखा जा रहा है. जिन लोगों के घर इन्वर्टर या जेनरेटर जैसी सुविधा नहीं है, उनको और भी ज्यादा परेशानी हो रही है. 

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...तब पता चलता बिजली नहीं है

स्थानीय निवासी कमल कुमार ने बताया कि कटौती का कोई समय नहीं है. रात में किसी भी समय बत्ती गुल हो जाती है और इन्वर्टर की चार्जिंग खर्च होने पर आंख खुलती है, तब पता चलता है कि बिजली नहीं है. इसके बाद पूरी रात जागते हुए बितानी पड़ती है. एक अन्य स्थानीय निवासी जगदीश बताते हैं कि हमारे क्षेत्र में बिजली की स्थिति ठीक नहीं है. हालात यह हो चुके हैं कि रात में किसी भी वक्त लालबाग इलाके में बत्ती गुल हो जाती है. शिकायत करने जाते हैं तो कोई सुनने वाला नहीं है. 

24 घंटे सप्लाई दे रहे, फॉल्ट होने पर समस्या होती: बिजली विभाग

बिजली कटौती को लेकर अधीक्षण अभियंता शहर संजय कुमार ने बताया कि हमारे पास शहर की कटौती का कोई शेड्यूल नहीं है. पूर्व निर्देश के मुताबिक, 24 घंटे लगातार आपूर्ति दी जा रही है. फॉल्ट होने की स्थिति में कुछ देर के लिए सप्लाई प्रभावित हो जाती है. प्रयास किया जा रहा है व्यवस्थाएं सब ठीक रहें.

देवरिया: अघोषित बिजली कटौती से लोगों का हाल बेहाल

देवरिया जिले में विद्युत व्यवस्था लड़खड़ा गई है. विद्युत आपूर्ति के सरकारी दावे और वास्तविक आपूर्ति में बड़ा अंतर है. एक तरफ गर्मी का मौसम, दूसरी तरफ विश्वविद्यालय की परीक्षाएं. लग्न का मौसम होने से व्यवसायी से लेकर शादी विवाह की तैयारी करने वाले लोग भी अघोषित विद्युत कटौती से परेशान हैं. देवरिया के शहरी इलाकों में 17 तो देहात में 8-10 घंटे बिजली मिल रही है. जिला मुख्यालय पर दिन और रात में ट्रिपिंग की शिकायतें बढ़ गई हैं. बिजली के आने-जाने से घर में लगे इन्वर्टर भी जवाब दे दे रहे हैं. 

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गांव वाले बोले- अब कटौती से परेशानी बढ़ गई

छितौनी गांव निवासी अनूप यादव कहते हैं कि बिजली का रोस्टर क्या है और आपूर्ति कितने घंटे की है, इसे विभागीय कर्मचारी नहीं बता पा रहे हैं. शिक्षक अभय सिंह बघेल कहते हैं कि बिजली की आवाजाही से परेशानी हो रही है. कोई टाइम टेबल ही नहीं है. गर्मी में अघोषित कटौती से दिनचर्या प्रभावित हो रही है. राजन कुशवाहा कहते हैं कि पिछली योगी सरकार में गांव-देहात में बिजली की आपूर्ति तारीफ योग्य थी. मगर अब सरकार बनने के कुछ ही महीने में व्यवस्था फेल दिख रही है. गन्ना किसान सुनील यादव को गन्ने की सिंचाई की टेंशन है. उनका कहना है कि पहले सरकारी नलकूप से सिंचाई हो जाती थी. अब पानी कुछ दूर पहुंच रहा है तब तक बिजली कट जा रही है.

इटावा: शिवपाल-अखिलेश के गढ़ में जबरदस्त कटौती

इटावा में भी विद्युत आपूर्ति को लेकर के हाहाकार मचा है. ठीक से ना दिन में बिजली मिल रही है और ना रात में. गर्मी ज्यादा होने के कारण खपत बढ़ गई है और अघोषित बिजली कटौती की वजह से ठीक ढंग से इन्वर्टर भी चार्ज नहीं हो पा रहे हैं. गांव के साथ-साथ अब शहरों में भी आपूर्ति कम हो गई है. फॉल्ट और शट-डाउन का बहाना लेकर शहरों में भी 6 से 7 घंटे की कटौती देखी जा सकती है. इटावा के सुंदरपुर बिजली फीडर के हालात यह हैं कि इलाके के लोग जागकर रात बिताने को मजबूर हैं. अगर फॉल्ट हो जाता है तो 4 से 5 घंटे तक विद्युत आपूर्ति बाधित रहती है. इन्वर्टर की चार्जिंग खत्म हो जाती है. यही हाल दिन में भी होता है. कुल मिलाकर शहर में 18 घंटे से ज्यादा विद्युत आपूर्ति नहीं हो रही है.

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बिजली ना होने से पानी की किल्लत बढ़ी

बसरेहर ब्लॉक के रहने वाले मधुर शर्मा का कहना है कि रात 11 बजे लाइट आ जाती है. आधी रात के बाद 2 बजे तक सप्लाई रहती है. उसके बाद दोपहर 12 बजे आती है और शाम को 5 से 70 तक ही रहती है. 12 से 14 घंटे की कटौती से बुरा हाल है. कोई काम नहीं हो पा रहा है. जसवंतनगर विधानसभा इलाके में रहने वाले भाजपा नेता बिंदु यादव का कहना है कि सिर्फ 12 से 14 घंटे सप्लाई मिल रही है. रातभर बिजली परेशान करती है. ठीक से इन्वर्टर भी चार्ज नहीं हो पाता है और पानी की किल्लत भी रहती है.

यहां इतनी बुरी स्थिति कभी नहीं रही

निलोई गांव के निवासी प्रेम सिंह शाक्य का कहना है कि गांव में रात में 5 घंटे की कटौती और दोपहर में भी बिजली गायब रहती है. मुश्किल से 12 घंटे सप्लाई मिल पा रही है. गर्मी में इतना बुरा हाल है कि हम लोगों को रात में अंधेरे में खाना बनाना पड़ता है. महेवा ब्लाक के निवासी रामजी तिवारी कहते हैं कि इतनी बुरी स्थिति विद्युत की पहले कभी नहीं हुई. समाजवादी पार्टी की सरकार में विद्युत आपूर्ति जबरदस्त थी. अब 8 घंटे ही बिजली मिल पा रही है. दिन में सिर्फ 2 घंटे बिजली सप्लाई मिल रही है.

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अमेठी: स्मृति ईरानी के गढ़ में अघोषित बिजली कटौती

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लोकसभा क्षेत्र अमेठी में भी अघोषित विद्युत कटौती से लोग परेशान देखे जा रहे हैं. आलम यह है कि रात में कब बिजली कट जाए- कुछ भरोसा नहीं है. बिजली कटौती से लोग अंधेरे में रहने के लिए मजबूर हैं. ग्रामीण क्षेत्र में 18 घंटे बिजली सप्लाई करने का निर्देश है, लेकिन कटौती से परेशानी हो रही है. 'शाम के वक्त बिजली कट जाती है. अघोषित कटौती अब लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गई है. आलम यह है कि लोग मोबाइल की लाइट में जरूरी काम निपटाने के लिए मजबूर हैं.

बिजली विभाग के भरोसे होते तो धंधा चौपट हो जाता

अमेठी निवासी कमर महमूद मुर्गी पालन का व्यवसाय करते हैं. उनका कहना है कि भाजपा सरकार के वादे के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्र को 18 घंटे और शहरी क्षेत्र को 24 घंटे बिजली आपूर्ति होगी, लेकिन कटौती के चलते उजाले में भोजन भी नहीं नसीब हो पा रहा है. अगर सोलर पैनल ना लगाया होता और बिजली विभाग के भरोसे मुर्गी पालन का धंधा करते तो अब तक सब खत्म हो चुका होता. 

गरीबी आदमी अंधेरे में भोजन बनाने के लिए मजबूर

अमेठी में रहने वाले अरुण गुप्ता कहते हैं कि भाजपा सरकार दूसरी बार अपने एजेंडे में बिजली के बिल कम कराने के नाम पर आई थी. बिल कम करने की कौन कहे. अभी अघोषित कटौती ही उपभोक्ताओं का सिर दर्द बन चुकी है. अमेठी के अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने कहा कि बीते दो साल से ज्यादा समय बीत चुका है. आम जनता को मिट्टी का तेल उपलब्ध नहीं है. ऐसे में गरीब किसान-मजदूर मेहनत करने के बाद घर लौटता है. भोजन-पानी की व्यवस्था में लग जाता है और उसे इसी समय उजाले की ज्यादा जरूरत होती है, लेकिन उस वक्त बिजली कटौती के चलते वह अंधेरे में भोजन बनाने और करने को मजबूर है.

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(भदोही से महेश जायसवाल, मुरादाबाद से जगत गौतम, देवरिया से राम प्रताप सिंह, अमेठी से आलोक श्रीवास्तव और इटावा से अमित तिवारी के इनपुट के साथ).

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