scorecardresearch
 

UP: 102 और 108 एम्बुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल, स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में 102 और 108 एम्बुलेंस के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. इसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. एम्बुलेंस कर्मचारी 3 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण परेशान हैं. साथ ही इनकी मांग है कि पूर्व में हटाए गए कर्मचारियों को फिर से बहाल किया जाए.

Advertisement
X
हड़ताल पर हैं एम्बुलेंस कर्मचारी (फोटो-PTI)
हड़ताल पर हैं एम्बुलेंस कर्मचारी (फोटो-PTI)

Advertisement

  • ESI और PF सुविधा के साथ वेतन दिया जाए, पायलट प्रोजेक्ट तत्काल बंद हो
  • श्रम कानूनों के तहत निर्धारित 8 घंटे काम लिया जाए, अतिरिक्त घंटों का ओवरटाइम भुगतान हो

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में 102 और 108 एम्बुलेंस के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. इसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. एम्बुलेंस कर्मचारी 3 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण परेशान हैं. साथ ही इनकी मांग है कि पूर्व में हटाए गए कर्मचारियों को फिर काम कर रखा जाए.

इस हड़ताल का सबसे महत्वपूर्ण कारण पायलट प्रोजेक्ट है. हाल ही में लागू किए गए पायलट प्रोजेक्ट का विरोध हो रहा है. इनकी वेतन और नियमितीकरण संबंधी मांग भी है. इन सभी मांगों को लेकर एम्बुलेंस कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी है. इस हड़ताल में एम्बुलेंस के ड्राइवर और एम्बुलेंस सहायक शामिल हैं. कानपुर में इस हड़ताल का जबरदस्त असर देखने को मिल रहा है.

Advertisement

कानपुर में पुलिस ने हड़ताल कर रहे एम्बुलेंस यूनियन के अध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया है. इसकी वजह से एम्बुलेंस कर्मचारियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. वहीं अपनी मांगों को लेकर बांदा और चंदौली में भी एम्बुलेंस कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं. कानपुर में एम्बुलेंस चालकों ने सभी गाड़ियों को काशीराम ट्रामा सेंटर में खड़ा कर दिया है. 108 और 102 सेवा ठप होने से आपातकालीन सेवाएं बाधित हुई हैं और इससे मरीज के परिजन काफी परेशान नजर आए.

दरअसल, कानपुर में भी एम्बुलेंस चालक वेतन को लेकर कई दिनों से रणनीति बना रहे थे. रविवार को एम्बुलेंस चालकों के नेता अजय सिंह ने कानपुर जिलाधिकारी, एसएसपी और सीएमओ को पहले से ही अवगत करा दिया था कि हम अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करने जा रहे हैं.

उन्होंने रात को ही अपने एम्बुलेंस को खड़ा कर दिया. लेकिन पुलिस ने एम्बुलेंस एशोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह को रात में ही हिरासत में ले लिया. इसकी सूचना मिलते ही सभी एम्बुलेंस चालक, टेक्नीशियन आंदोलित हो उठे और 108 एम्बुलेंस गाड़ियां काशीराम ट्रामा सेंटर में खड़ी कर आनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए.

आंदोलित कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती, वह गाड़ियां नहीं चलाएंगे. चंदौली में हड़ताली एम्बुलेंस कर्मी अमित कुमार ने बताया कि उनसे 8 घंटे के बदले 12 घंटे काम लिया जा रहा है. 4 घंटे अतिरिक्त काम करने के बाबजूद ओवर टाइम नहीं दिया जाता. साथ ही नए पायलट प्रोजेक्ट में भी कई खामियां हैं.

Advertisement

पायलट प्रोजेक्ट का विरोध

बांदा में भी एम्बुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर हैं. यहां पर एम्बुलेंस के EMT (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) कर्मियों ने बताया कि उनकी कंपनी GVK EMRI का सरकार से एम्बुलेंस संचालन के लिए अनुबंध है. लेकिन कंपनी अभी एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है जिसमें हमसे प्रति केस 60 रुपये में काम कराया जाएगा और ईएसआई और पीएफ की सुविधा भी नहीं मिलेगी.

हम इसका विरोध करते हुए पूर्व की तरह भुगतान चाहते हैं जोकि करीब 9500 रुपये था. हमसे ईएमटी पायलट ट्रेनिंग के नाम पर 25-50 हजार की डिमांड ड्राफ्ट भी मांगी जा रही है. न दिए जाने पर हमारा शोषण कर निकाल दिया जा रहा है. हम इसका विरोध कर रहे हैं. जब तक हमारी 7 सूत्रीय मांग नहीं मानी जाती है तब तक हम काम पर नहीं लौटेंगे.

दरअसल, पायलट प्रोजेक्ट के तहत 102 और 108 नंबर की एम्बुलेंस में काम करने वाले स्टाफ को मासिक मानदेय न देकर केस के हिसाब से भुगतान करने का नया नियम लागू किया गया है. नए नियम के अनुसार एम्बुलेंस कर्मियों को प्रति केस 60 रुपये की धनराशि का भुगतान किए जाने का प्रावधान है.

साथ ही एक दिन में कम से कम 20 केस करने का टारगेट दिया गया है. इस नए फरमान को लेकर प्रयागराज, कानपुर, बांदा, चंदौली, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, सोनभद्र, सीतापुर, बंदायू, देवरिया, उन्नाव, हरदोई, मऊ, कुशीनगर, अलीगढ़, जालौन, मैनपुरी, जौनपुर आदि कई जिलों में एम्बुलेंस कर्मी हड़ताल पर हैं.  

Advertisement
कर्मचारियों की मांग

1. निष्कासित पुराने कर्मचारियों की तत्काल बहाली हो.

2. ईएमटी पायलट ट्रेनिंग के नाम पर 50 और 25 हजार की DD तत्काल बंद की जाए.

3. निर्धारित वेतनमान ESI और PF की सुविधा के साथ दिए जाएं, पायलट प्रोजेक्ट तत्काल बंद हो.

4. श्रम कानूनों के तहत निर्धारित 8 घंटे काम लिया जाए, अतिरिक्त घंटों का ओवरटाइम भुगतान हो.

5. हर साल 10% की वेतन वृद्धि दी जाए, 2014 से रुकी वेतन वृद्धि तत्काल मिले.

6. कर्मचारियों का शोषण और उन्हें निकाला जाना बंद हो, स्थानांतरण गृह जिले में ही किया जाए

7. हरियाणा और दिल्ली की तरह यूपी में भी कर्मचारियों को NHM के अधीन कर सेवा सुरक्षा मिले

Advertisement
Advertisement