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यूपी: राज्यसभा चुनाव के लिए परवान चढ़ेगी डिनर डिप्लोमेसी की सियासत

बीजेपी के 9वें उम्मीदवार के उतरने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. सूबे की सभी पार्टियां अपना-अपना किला बचाने के लिए डिनर डिप्लोमेसी में जुट गई हैं.

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अखिलेश यादव, मायावती, योगी आदित्यनाथ
अखिलेश यादव, मायावती, योगी आदित्यनाथ

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उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए दो दिन बाद 23 मार्च को मतदान होना है. सूबे में 11 उम्मीदवार मैदान में हैं. विधायकों की संख्या के लिहाज से बीजेपी के 8 और सपा के एक सदस्य की जीत तय है. बीजेपी के 9वें उम्मीदवार के उतरने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. सूबे की सभी पार्टियां अपना-अपना किला बचाने के लिए डिनर डिप्लोमेसी में जुट गई हैं.

बीजेपी के 9वें उम्मीदवार के खिलाफ सूबे का समूचा विपक्ष एकजुट होकर बीएसपी प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर के साथ खड़ा है. बीएसपी उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर और बीजेपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी अनिल अग्रवाल के बीच मुकाबला है. बसपा उम्मीदवार अंबेडकर को सपा और कांग्रेस समर्थन कर रहे हैं. अजित सिंह की पार्टी आरएलडी भी उनके समर्थन में है. ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए 9वीं सीट जीतना काफी अहम चुनौती है.

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राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर 21 मार्च को सीएम योगी आदित्यनाथ विधायकों को डिनर दे रहे हैं. तो 22 मार्च को मायावती अपने विधायकों की मीटिंग ले रही हैं, कांग्रेस भी अपने विधायकों को लंच दे रही है और सभी को 23 तारीख तक लखनऊ में ही रहने को कहा गया है.

समाजवादी पार्टी भी अपने खेमे के मतभेद को भुलाने के लिए विधायकों के लिए डिनर के इंतजाम में जुटी है. इसी मद्देनजर सपा दो दिन लगातार  डिनर का कार्यक्रम रख रही है, ताकि विधायकों की संख्या को लेकर निश्चित हुआ जा सके. डिनर डिप्लोमेसी का एक कार्यक्रम यादव परिवार के बीच भी रखने की कोशिश चल रही है जिसमें मुलायम शिवपाल रामगोपाल और अखिलेश यादव सभी मौजूद रहेंगे.

ओमप्रकाश राजभर और अपना दल की नाराजगी को देखते हुए योगी आदित्यनाथ बुधवार देर शाम अपने आवास 5 कालिदास मार्ग पर विधायकों को डिनर दे रहे हैं. बीजेपी इसके जरिए अपने खेमे की मजबूती को नापने की रणनीति है. हालांकि अमित शाह से मुलाकात के बाद ओमप्रकाश राजभर के तेवर नरम हो गए हैं और बीजेपी के साथ वोट करने का ऐलान कर दिया है. इसके बावजूद पार्टी पूरी तरह से संतुष्ट होना चाहती है. सूबे के इन सभी दलों के डिनर डिप्लोमेसी में एजेंडा एक ही है कि किस तरीके से अपने-अपने कुनबे को बांधकर रखा जा सके.

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बीजेपी ने नौवें कैंडिडेट के तौर पर अनिल अग्रवाल को उतारा है और पार्टी की उम्मीदें नरेश अग्रवाल राजा भैया और शिवपाल यादव के साथ साथ अमनमणि त्रिपाठी जैसे कुछ विधायकों पर टिकी है, जो विधायकों की क्रॉस वोटिंग करा सकते हैं.

सपा अपनी कमजोर कड़ी को जोड़ने में जुटी है ताकि नरेश अग्रवाल और राजा भैया की सेंधमारी की कोशिशों को रोका जा सके. अखिलेश यादव शिवपाल यादव को मनाने में जुटे हैं इसीलिए उन्होंने सार्वजनिक तौर पर शिवपाल यादव से वोट देने की अपील भी की है.

राज्यसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी की साख दांव पर है. अपने 9वें कैंडिडेट को उतारा है. जबकि पार्टी के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और अगर बीजेपी अपने उम्मीदवार को नहीं जीता पाती तो उसे फिर एक और फजीहत झेलने के लिए तैयार रहना होगा.

बीजेपी सूबे की 9वीं राज्यसभा सीट पर निर्दलीय अनिल अग्रवाल को जिताने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है. बीजेपी गठबंधन के पास 28 वोट अतरिक्त हैं, जबकि जीतने के 37 वोट की जरूरत है. इस तरह बीजेपी को 9 वोटों की जरूरत है. सपा से नाता तोड़कर बीजेपी में आए नरेश अग्रवाल और निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह से पार्टी को उम्मीदें हैं. इसके अलावा अमित शाह के मुलाकात के बाद राजभर भी मान गए हैं.

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उपचुनाव में मिली जीत से विपक्ष के हौसले बुलंद हैं. सपा, बसपा और कांग्रेस के विधायक पार्टी लाइन से अलग वोट करें इसकी संभावना कम है. इसीलिए विपक्ष एकजुटता को बनाए रखना चाहता है. इसमें सबसे ज्यादा सपा और बसपा की कोशिश है. उपचुनाव में सपा की जीत के बाद अब बारी बसपा की है. इसीलिए अखिलेश यादव पूरी कोशिश में हैं कि जया बच्चन की जीत के साथ-साथ बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर की भी जीत हो सके.

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