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जानें कौन हैं प्रकाश बजाज, जिन्होंने यूपी राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय उतरकर बिगाड़ा खेल

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरे प्रकाश बजाज मूलरूप से वाराणसी के रहने वाले हैं, उनके पिता प्रदीप बजाज 1977 में जनता पार्टी से विधायक रहे. वो यूपी की देवरिया सीट से विधायक बने थे. साथ ही वो पूरी दुनिया में आस्था के केंद्र श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के सदस्य भी रहे हैं

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राज्यसभा के निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज
राज्यसभा के निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज
स्टोरी हाइलाइट्स
  • प्रकाश बजाज मूलरूप से वाराणसी के रहने वाले हैं
  • प्रकाश बजाज के पिता जनता पार्टी से विधायक रहे
  • उच्च सदन के लिए बजाज को सपा का समर्थन है

उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरे प्रकाश बजाज सुर्खियों में हैं. सपा के समर्थन से प्रकाश बजाज के मैदान में उतरने से बसपा प्रत्याशी रामजी गौतम के सारे समीकरण बिगड़ गए हैं. बसपा में बगावत हो गई है, पार्टी के छह विधायकों ने बुधवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की है. इतना ही नहीं सपा प्रमुख से मिलने के बाद बसपा विधायकों ने रामजी गौतम के प्रस्तावक से अपने नाम वापस ले लिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि प्रकाश बजाज कौन हैं, जिनकी वजह से बसपा के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.

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प्रकाश बजाज मूलरूप से वाराणसी के रहने वाले हैं, लेकिन उनके पिता देवरिया से आकर वाराणसी के जवाहर नगर कालोनी में बसे हैं. पेश से वकील प्रकाश बजाज की उम्र महज 38 साल है और मुंबई में प्रैक्टिस करते हैं. प्रकाश बजाज ने बीकॉम, एलएलबी, पीजी डिप्लोमा इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के साथ मास्टर ऑफ लॉ व कंपनी सेक्रेटरी की पढ़ाई हैं. प्रकाश की पत्नी भी वकील हैं. 

प्रकाश बजाज को सियासत विरासत में मिली है. प्रकाश बजाज के पिता हैं प्रदीप बजाज. वो 1977 में जनता पार्टी से विधायक रहे . वो यूपी की देवरिया सीट से विधायक बने थे. साथ ही वह पूरी दुनिया में आस्था के केंद्र श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के सदस्य भी रहे हैं. जिस समय उनके पिता न्यास परिषद के सदस्य बने थे, उस वक्त भी वो गैर ब्राह्मण होने के कारण काफी चर्चा में रहे थे.

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प्रदीप बजाज के जनता पार्टी में रहते हुए समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं से गहरे संबंध है. ऐसे में सपा के वारणसी के रहने वाले एक नेता से उनके परिवारिक संबंध बताए जाते हैं. इसी संबंध के जरिए उन्होंने सपा विधायकों के समर्थन से राज्यसभा के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया है. प्रदीप बजाज बड़े कारोबारी भी माने जाते हैं. यूपी में शुगर मिल से लेकर गाड़ियों के कई शोरूम हैं. ऐसे में देखना है कि प्रकाश बजाज राज्यसभा चुनाव के शाह-मात के खेल में कैसे बाजी मारते हैं. 

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में अभी 395 (कुल सदस्य संख्या-403) विधायक हैं जबकि 8 सीटें रिक्त हैं. मौजूदा बीजेपी के पास फिलहाल 306 विधायक हैं. वहीं, सपा के पास 48, बसपा के पास 18, कांग्रेस के 7, अपना दल के पास 9 और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के चार विधायक हैं.  इसके अलावा चार निर्दलीय और एक निषाद पार्टी से विधायक हैं. 

यूपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति के आधार पर एक राज्यसभा सीट के लिए 36 विधायकों के समर्थन पर प्रथम वरियता का वोट चाहिए. इस लिहाज से बीजेपी की 8 सीटें जीतने के लिए 288 विधायकों का समर्थन चाहिए, जिसके बाद 18 विधायकों के वोट अतिरिक्त बचेगा. ऐसे ही सपा के राम गोपाल यादव के जीतने के बाद भी पार्टी के 12 वोट अतिरिक्त बचेंगे. वहीं, बसपा इस स्थिति में नहीं है कि वो अपने दम पर रामजी गौतम को राज्यसभा भेज सके. 

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ऐसे में प्रकाश बजाज के निर्दलीय उतरने से 10वीं राज्यसभा सीट के लिए मुकाबला काफी रोचक हो गया है. हालांकि, प्रकाश बजाज के नामांकन के दौरान उनके साथ कानपुर के सीसामऊ से सपा के विधायक हाजी इरफान सोलंकी और मैनपुरी सदर से सपा विधायक राजकुमार उर्फ राजू यादव मौजूद थे. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रकाश बजाज को सपा का समर्थन हासिल है. 

 

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