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राज्यसभा चुनाव में कांटे की टक्कर, समझें 10वीं सीट का सियासी गणित

बीजेपी जहां अपने 9वें उम्मीदवार को जिताने की जद्दोजहद कर रही है, वहीं सपा-कांग्रेस और आरएलडी सहित पूरा विपक्ष एकजुट होकर बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर को जिताने की कोशिश में लगा है.

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अखिलेश यादव, मायावती, योगी आदित्यनाथ
अखिलेश यादव, मायावती, योगी आदित्यनाथ

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उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव की 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं. सुबह 9 बजे से शाम चार बचे तक मतदान होंगे. आज ही नतीजे घोषित किए जाएंगे. बीजेपी के 9वें उम्मीदवार अनिल अग्रवाल के मैदान में आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

बीजेपी जहां अपने 9वें उम्मीदवार को जिताने की जद्दोजहद कर रही है, वहीं सपा-कांग्रेस और आरएलडी सहित पूरा विपक्ष एकजुट होकर बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर को जिताने की कोशिश में लगा है.

हालांकि बसपा के विधायक मुख्तार अंसारी और सपा के हरिओम यादव जेल में बंद हैं, जिनके वोट डालने पर कोर्ट ने रोक लगा दी है. इस तरह से विपक्ष को दो वोट कम हो गए हैं.

दस राज्यसभा सीटों के लिए 11 प्रत्याशी

बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली, डॉ. अशोक बाजपेयी,  विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम,  डॉ. अनिल जैन,  जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव और 9वें उम्मीदवार के तौर पर अनिल कुमार अग्रवाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. सपा ने जया बच्चन, जबकि बसपा ने भीमराव अम्बेडकर को प्रत्याशी बनाया है.

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अब बारी सपा की

राजनीतिक लिहाज से देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में सपा को छोड़कर कोई भी विपक्षी दल अपने बलबूते एक भी राज्यसभा सीट जीतने की स्थिति में नहीं है. बसपा ने हाल में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सहयोग देकर सपा की जीत में अहम भूमिका निभायी है. अब कर्ज चुकाने की बारी सपा की है.

सपा-बसपा की दोस्ती की बुनियाद

सपा-बसपा ने 23 साल की दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती का हाथ मिलाया है. बसपा प्रमुख मायावती सपा के प्रति नरम रुख अपना रही है. यह आगे भी जारी रहेगा, इसका सारा दारोमदार राज्यसभा चुनाव के परिणाम पर निर्भर है. यह चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा के गठबंधन की सम्भावनाओं पर निर्णायक असर डालेगा. इसीलिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा प्रत्याशी को जिताने के लिए हरसंभव कोशिश में लगे हैं.

विपक्ष का समीकरण

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा में एक उम्मीदवार के जीत के लिए 37 विधायकों का समर्थन जरूरी है. प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में सपा के पास 47 सदस्य हैं. उसके पास अपनी उम्मीदवार जया बच्चन को चुनाव जिताने के बाद भी 10 वोट अतरिक्त बच रहे हैं. बसपा के पास 19 वोट हैं जबकि कांग्रेस के पास सात और राष्ट्रीय लोकदल के पास एक वोट है. ऐसे में इन दलों का गठबंधन ही दसवें सदस्य को राज्यसभा भेज सकता है, मगर जरा सी भी गड़बड़ी सारा गणित बिगाड़ सकती है.

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बीजेपी का गणित

सूबे में सत्ताधारी बीजेपी गठबंधन के पास 324 विधायकों का संख्याबल है. इस आधार पर बीजेपी की आठ सीटों पर जीत तय है. इसके बाद पार्टी और सहयोगी दलों के मिलाकर 28 वोट अतरिक्त बचेंगे. ऐसे में बीजेपी के सामने अपने 9वें प्रत्याशी को जिताने का की सबसे बड़ी चुनौती है.

सूबे में सभी दल अपने-अपने मतों को एकजुट रखने और सहेजने में जुटे हैं. बीजेपी, सपा और बसपा ने ‘डिनर डिप्लोमेसी‘ का सहारा लिया है. अखिलेश ने विधायकों को दावत दी, जिसमें शिवपाल यादव सहित निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप शामिल हुए. सपा के लिए ये राहत की बात रही. शिवपाल और रघुराज  के साथ आने के बाद बीजेपी का सियासी समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है. वहीं बसपा मुखिया मायावती ने भी गुरुवार को अपने विधायकों की देर शाम बैठक की. कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान किया है.

बसपा का समीकरण बिगाड़ सकते हैं ये

राज्यसभा में टिकट न मिलने से नाराज सपा छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले नरेश अग्रवाल के बाद उनके सपा विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल के भी बीजेपी के पक्ष में वोट करने की प्रबल सम्भावना है. इसके अलावा निर्दलीय विधायक अमन मणि और निषाद पार्टी के विजय मिश्रा के वोट बीजेपी प्रत्याशी को मिलने की संभावना है.

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इनके कार्यकाल पूर हुए हैं

गौरतलब है कि सपा के राज्यसभा सदस्यों नरेश अग्रवाल, दर्शन सिंह यादव, नरेश चन्द्र अग्रवाल, जया बच्चन, चौधरी मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी, भाजपा के विनय कटियार और कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इसके अलावा मनोहर पर्रिकर और मायावती की सीट रिक्त है.

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