SIT (स्पेशल इन्वेस्टिंग टीम) ने भंडारण निगम भर्ती घोटाला मामले में एफआईआर दर्ज की है. दरअसल समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में सहकारिता के तमाम विभागों में हुई 2324 पदों पर हुए भर्ती घोटाले में SIT द्वारा भंडारण निगम में हुई भर्ती पर एफआईआर दर्ज कराई गई है. भंडारण निगम भर्ती घोटाले में दर्ज कराई गई SIT की FIR में तत्कालीन एमडी ओमकार यादव सचिव भूपेंद्र सिंह के साथ तमाम अफसर भी शामिल हैं.
फरवरी 2021 में शासन को भेजी गई SIT रिपोर्ट के आधार पर पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम यानी SIT ने भंडारण निगम भर्ती घोटाले में हुए 93 पदों पर भर्ती के मामले में एफआईआर दर्ज की है. दरअसल 2013 में एमडी भंडारण निगम ओमकार यादव सहकारिता सेवा मंडल के अध्यक्ष के तौर पर भी काम कर रहे थे.
आरोप है कि ओमकार यादव ने अपने चहेतों को भर्ती करने के लिए पूरी चयन प्रक्रिया 1 महीने में ही पूरी कर ली. 13 नवंबर को भर्ती निकली गई. 18 नवंबर 2013 को सचिव सेवा मंडल रहे भूपेंद्र कुमार ने परीक्षा कराने के लिए चयनित हुई कंपनी वंडर पोस्ट क्रिएटिव सॉल्यूशंस लिमिटेड का चयन किया. 23 नवंबर को परीक्षा कराने का सेवा मंडल की तरफ से पत्र भी सौंप दिया गया. लेकिन अचानक 18 दिसंबर को परीक्षा कराने वाली एजेंसी बदल दी गई और परीक्षा कराने का जिम्मा डाटा मैट्रिक्स कंप्यूटर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया गया.
कहा जा रहा है कि अचानक परीक्षा कराने वाली एजेंसी सिर्फ इसलिए बदली गई ताकि अपने चहेते अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट बदलकर उनका चयन करवाया जा सके. 96 पदों पर जब अभ्यर्थियों की भर्ती शुरू हुई तो तीन अभ्यर्थियों के डिग्री के सत्यापन में गड़बड़ी मिली और उनको चयन से बाहर कर दिया गया. इस तरह तत्कालीन एमडी ओमकार यादव सचिव भूपेंद्र कुमार के साथ तमाम अन्य अधिकारियों ने अपने चहेतों को भंडारा निगम में नौकरी पर रख लिया.
हालांकि ओमकार यादव ने भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के साथ नियमों का भी उल्लंघन किया. नियम है कि सेवा मंडल सिर्फ सहकारी संस्थाओं में ही भर्ती कर सकता है. चूंकि भंडारण निगम सरकार का उपक्रम है इसलिए इसमें आयुक्त व निबंधक सहकारिता का कोई दखल नहीं होता.
प्रमुख सचिव सहकारिता का भंडारण निगम पर प्रशासनिक नियंत्रण होता है. ओमकार यादव एमडी भंडारण निगम ने सेवा मंडल को भर्ती का अपडेट भेजा और सेवा मंडल के अध्यक्ष के तौर पर भर्ती को खुद ही मंजूरी भी दी.
फिर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई. इसके बाद अप्रैल 2018 में 2012 से 2017 के बीच यूपी कोऑपरेटिव बैंक यूनियन, सहकारी ग्राम विकास बैंक समेत सहकारिता के तमाम विभागों में हुई 2324 पदों पर भर्ती जांच शुरू कर दी गई.
फरवरी 2021 में ही SIT ने सहकारिता भर्ती घोटाले में अपनी रिपोर्ट विभाग व प्रशासन को सौंप दी. अब शासन की अनुमति के बाद भंडारण निगम में हुए भर्ती घोटाले पर एफआईआर दर्ज हुई है. माना जा रहा है कि शासन की अनुमति के बाद सहकारिता में हुए अन्य भर्ती घोटालों में भी SIT वन और एफआईआर दर्ज करने जा रही है.