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यूपी: छोटी-छोटी पार्टियों ने मिलकर बनाया इत्तेहाद फ्रंट, नजर मुस्लिम वोटों पर

उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुस्लिम वोटों की दावेदारी के लिए एक नया फ्रंट बन गया है. नाम है- इत्तेहाद फ्रंट. मंगलवार को लखनऊ में दस छोटी-छोटी, लगभग गुमनाम पार्टियों ने मिल कर ये नया फ्रंट बनाने की घोषणा और ये दावा भी किया कि इस बार मुस्लिम वोट बंट कर तितर-बितर नहीं होगा.

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उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुस्लिम वोटों की दावेदारी के लिए एक नया फ्रंट बन गया है. नाम है- इत्तेहाद फ्रंट. मंगलवार को लखनऊ में दस छोटी-छोटी, लगभग गुमनाम पार्टियों ने मिल कर ये नया फ्रंट बनाने की घोषणा और ये दावा भी किया कि इस बार मुस्लिम वोट बंट कर तितर-बितर नहीं होगा.

फ्रंट के संयोजक मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद सुलेमान होंगे. इत्तेहाद फ्रंट में जो पार्टियां शामिल हैं, उनमें पीस पार्टी को छोडकर किसी का एक विधायक तक नहीं है. लेकिन चुनाव के इस मौसम में हर पार्टी 18 फीसदी मुस्लिम वोट के लिए जी जान लगा रही हैं और इसलिए इत्तेहाद फ्रंट में शामिल नेताओं के हौसले बुलंद हैं.

ये पार्टियां हुईं फ्रंट में शामिल
इत्तेहाद फ्रंट में शामिल दलों के नाम हैं- पीस पार्टी, इंडियन नेशनल लीग, इंडियन यूनियन मुस्लिल लीग, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय उलेमा कांउसिल, सोशल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया, मुस्लिम मजलिस, मुस्लिम लीग, परचम पार्टी और इत्तेहाद-ए-मिल्लत कॉन्फ्रेंस. फ्रंट के नेताओं ने दावा किया कि असद्उद्दीन औवेसी की पार्टी समेत मुसलमानों की राजनीति करने वाली कुछ और पार्टियों से भी बात चल रही है और जल्द ही उनका फ्रंट और मजबूत होकर उभरेगा. इत्तेहाद फ्रंट के नेताओं ने बैठक का बाद कहा कि मुख्यधारा की बड़ी पार्टियां सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करती हैं और बाद में उनकी अनदेखी होती है.

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फ्रंट के नेताओं ने बनाई रणनीति
फ्रंट के नेताओं ने बैठक में ये रणनीति बनायी है कि ये पार्टियां खुद अपना उम्मीदवार भी मैदान में उतारेंगी और किसको समर्थन करना है इसके बारे में भी मिल बैठकर फैसला करेंगी. किस पार्टी से हाथ मिलाना है इस पर फैसला बाद में होगा.

नेताओं का दावा- वोटों से सियासत की तारीख लिखेंगे
उत्तर प्रदेश में हर चुनाव के पहले ऐसी पार्टियां और फ्रंट बनने का चलन बहुत पुराना है. लेकिन हमेशा ही ऐसे मोर्चे चुनाव के वक्त बिखर जाते हैं. आरोप ये भी लगते हैं कि मोर्चा बनाकर तोलमोल करने के बाद ये पार्टियां और उनके नेता बडी पार्टियों के हाथ बिक जाते हैं और वोटों का सौदा कर लेते हैं. इत्तेहाद फ्रंट के नेता खुद भी मानते हैं कि ये आरोप कुछ हद तक सही भी हैं और ऐसा होता रहा है. लेकिन इस बार उनका दावा है कि वोटों का सौदा नहीं, वोटों से सियायत की तारीख लिखी जाएगी.

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