लखनऊ यूनिवर्सिटी के एंथ्रोपॉलजी डिपार्टमेंट में स्मार्ट टीचिंग के नाम पर सैमसंग गैलेक्सी नोट-3, गियर वॉच और 5 सैमसंग ग्रैंड डुओस मोबाइल खरीद लिए गए. जबकि यूजीसी की अनुदान राशि से स्मार्ट टीचिंग एड के तहत स्टूडेंट्स को आधुनिक तकनीकी मुहैया कराने के लिए स्मार्ट बोर्ड, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर आदि की ही खरीद की जा सकती है.
तकनीकी उपकरणों के साथ महंगे मोबाइल फोन खरीदने में विभाग ने 12वीं योजना के तीन लाख रुपये में से 1.70 लाख रुपये खर्च कर दिए. नियमों के तहत यूजीसी या अनुदान की मद से मोबाइल जैसी सामग्री खरीदने के लिए विशेष अनुमति चाहिए. विभाग को वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले अनुदान राशि खर्च करनी थी. विभाग ने लैपटॉप और प्रिंटर, फैक्स मशीन के साथ एडवांस टीचिंग एड की कैटेगरी में सैमसंग नोट-2, सैमसंग डुओस का प्रस्ताव भेजा. प्रस्ताव को प्लानिंग एंड डेवेलपमेंट बोर्ड की मंजूरी मिल गई. इसके बाद हुई परचेज कमिटी से इसकी खरीद भी कर ली गई.
दरअसल विभाग ने मोबाइल के नाम पर सैमसंग के उपकरण और उसके प्रॉडक्ट कोड का जिक्र करके प्रस्ताव बनाया था. इसलिए अफसरों को भी समझ नहीं आया कि विभाग स्मार्ट टीचिंग के नाम पर मोबाइल खरीद रहा है. जब इसकी फाइल अकाउंट ऑफिस में भुगतान के लिए आई तो बिल में सैमसंग नोट-2 की जगह पर नोट-3 खरीदा पाया गया. इस पर विभागाध्यक्ष से जवाब मांगा गया तो उन्होंने एडवांस वर्जन खरीदे जाने की बात कही. जवाब पर नोट लगाकर कुलपति के पास भेजा गया. इस पर कमिटी ने एक्सपर्ट कमिटी से तकनीकी पक्षों की जांच कराई. परीक्षण में यह पता चला कि प्रॉडक्ट कोड के साथ खरीदा गया सैमसंग का उपकरण मंहगा स्मार्ट फोन है.
मामले की जानकारी मिलते ही लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. बी. निमसे ने जांच कमिटी बना दी है, जो दो दिन में रिपोर्ट देगी. यह भी जानकारी मिली है कि तकनीकी उपकरणों के नाम पर स्मार्टफोन्स खरीदे गए हैं.