योगी सरकार के 100 दिन पूरे हो चुके हैं. 100 दिन के दौरान योगी सरकार ने जहां एक ओर सहारनपुर का जातीय संघर्ष झेला तो वहीं इन दिनों रायबरेली के ऊंचाहार तहसील के अप्टा गांव में हुए सामूहिक हत्याकांड ने उसे खासा परेशान कर रखा है. योगी सरकार के लिए सबसे मुश्किल बात यह है कि इस मुद्दे पर उसके दो मंत्रियों ने अलग-अलग रुख पकड़ रखा है. यही वजह है कि लोग रायबरेली की इस घटना को सरकार की सबसे बड़ी परीक्षा मान रहे हैं. अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं.
दो मंत्री आमने-सामने
इस मुद्दे पर योगी सरकार के दो मंत्री अलग-अलग बयान दे रहे हैं. एक ओर जहां श्रम व सेवायोजन विभाग के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य मरने वालों को अपराधी साबित करने पर तुले हैं तो वहीं विधि व न्याय विभाग के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक आरोपियों पर कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है, ''जो मारे गए वो किराए के गुंडे थे. उन पर अलग-अलग थानों में केस दर्ज हैं. ग्रामीणों ने जिनको पीट-पीटकर या जलाकर मार डाला, वो गुंडे थे. जो प्रतापगढ़ और फतेहपुर से आए थे जिनके खिलाफ थानों में आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. यह सभी प्रधान की हत्या करने आए थे. गांव के लोगों ने मार दिया. मारे गए गुंडों को शहीद बताया जा रहा है. इसको लेकर सपा और कांग्रेस राजनीति कर रही है. ब्राह्मणों की हत्या नहीं हुई अपराधियों की हत्या हुई."
वहीं ब्रजेश पाठक ने कहा, "अपराधी को संरक्षण देने वाले बख्शे नहीं जाएंगे. नरसंहार के आरोपियों को संरक्षण देना गलत है. स्वामी के बयान को पुलिस संज्ञान में ले. हालांकि ऊपर तक पैठ बनाने वाले अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा."
पाठक की ही तरह क्षेत्रीय विधायक मनोज कुमार पांडेय का भी रुख है. उन्होंने कहा, ''सामूहिक हत्या की पुलिस जांच कर रही है. ऐसे में राज्य सरकार के एक मंत्री मारे गए युवकों को शूटर ठहराकर न सिर्फ जांच प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं. बल्कि झूठ के जरिए पीड़ित परिवार को लांक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं."
मुखर हो रहा है विरोध
इस हत्याकांड के बाद प्रदेश में ब्राह्मण संगठनों ने योगी सरकार का मुखर विरोध करना शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया पर भी योगी सरकार के खिलाफ पोस्टों की बाढ़ आई हुई है. इसी क्रम में रविवार को राष्ट्र रक्षा मनु आर्मी, राष्ट्रीय परशुराम सेना, ब्राह्माण विकास प्रतिष्ठान, राष्ट्रीय ब्राह्माण युवजन सभा और आरक्षण संघर्ष समन्वय समिति जैसे ब्राह्मण समाज के विभिन्न संगठनों ने जीपीओ पार्क में विरोध प्रदर्शन किया. नाराज कार्यकर्ताओं ने सिर मुंडवाकर विरोध जताया और जनेऊ तोड़कर हत्या के आरोपियों को श्राप दिया. इस दौरान संगठनों ने इंसाफ न मिलने पर सत्याग्रह आंदोलन चलाने की बात भी कही.
इसी तरह के एक विरोध प्रदर्शन में राजधानी के लक्ष्मण मेला मैदान में पीले वस्त्र, शंख, रुद्राक्ष की माला और परशुराम की फोटो लेकर देशभर से पहुंचे हजारों ब्राह्मणों ने सवर्ण आयोग बनाने की आवाज बुलंद की है.
आपको बता दें कि इस पूरे मामले पर योगी आदित्यनाथ की चुप्पी संकेत दे रही है कि सरकार इस मामले पर घिरा हुआ महसूस कर रही है. वहीं दूसरी ओर पुलिस जांच के मुताबिक मारे गए पांच लोगों में से चार लोगों पर कोई पुलिस केस दर्ज नहीं था यानि मौर्य का बयान गलत साबित हो रहा है.
11 जुलाई से यूपी का बजट सत्र भी शुरू होने वाला है. विपक्षी दल बीजेपी को पहले से ही सवर्णों की पार्टी कहते रहे हैं. अब इस मामले पर विपक्ष एक बार फिर सत्तारूढ़ दल को घेरने की पूरी कोशिश करेगा. खास बात यह है कि एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां सरकार को विधानसभा में घेरती नजर आएंगी तो वहीं दूसरी ओर ब्राह्मण संगठन विधानसभा के बाहर.
26 जून को रायबरेली के ऊंचाहार थाना क्षेत्र स्थित अपटा गांव में आपसी विवाद को लेकर भीड़ ने पांच लोगों की हत्या कर दी थी. उनमें से कई को जला भी दिया गया था.