scorecardresearch
 

जिला पंचायत अध्यक्ष: BJP के 21 उम्मीदवार निर्विरोध, अब 53 सीटों पर मुकाबला; क्या है सपा का प्लान?

बीजेपी के कुल 21 उम्मीदवार निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए, वहीं सपा का गढ़ कहे जाने वाली इटावा से अखिलेश यादव के भाई अभिषेक यादव निर्विरोध चुने जा चुके हैं. 

Advertisement
X
सीएम योगी और अखिलेश यादव
सीएम योगी और अखिलेश यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 53 सीटों पर मुख्य रूप से मुकाबला सपा और बीजेपी में टक्कर
  • BJP के 21 उम्मीदवार निर्विरोध
  • इटावा से अखिलेश यादव के भाई अभिषेक यादव निर्विरोध

उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व, जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना है. इस चुनाव को विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. विगत 26 जून को सत्तारूढ़ बीजेपी पार्टी और विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवारों ने अपना-अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था, तो वहीं 29 जून को दाखिल किए गए नामांकन पत्र को वापस करने का समय था. 

Advertisement

इस दौरान कुल 4 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र वापस किए. ऐसे में बीजेपी कहीं ना कहीं बढ़त बनाती हुई नजर आ रही है. बीजेपी के कुल 21 उम्मीदवार निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए, वहीं सपा का गढ़ कहे जाने वाली इटावा से अखिलेश यादव के भाई अभिषेक यादव निर्विरोध चुने जा चुके हैं. 

सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी सपा के बीच 53 सीटों पर कड़ा मुकाबला होना है. अभी हाल ही में मायावती द्वारा कहा गया कि उनकी पार्टी बसपा का जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कोई भी उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी. ऐसे में सपा और बीजेपी दोनों ही बसपा के जीते हुए उम्मीदवारों को साधने में जुट गई है.

इसके अलावा निर्दलियों को भी दोनों पार्टी अपने पाले में करने में लगी हुई हैं. बड़ी संख्या में निर्दलियों ने जिला पंचायत सदस्य चुनाव में जीत हासिल की थी. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर आरोप भी लगाया है कि बीजेपी पुलिस प्रशासन की मदद से चुनाव जीतना चाह रही है, उनके कई प्रत्याशियों को नामांकन पत्र भी दाखिल नहीं करने दिया गया.

Advertisement

वहीं तीन उम्मीदवारों को कोई भी प्रस्तावक नामांकन पत्र दाखिल करने के वक्त नहीं मिला था, जिससे नाराज अखिलेश यादव ने कार्रवाई करते हुए 11 जिला अध्यक्षों को पद मुक्त कर दिया था. हालांकि अब आने वाली 3 जुलाई को यह तय हो जाएगा कि कौन सी पार्टी निर्दलीय और बसपा उम्मीदवारों को अपने पक्ष में साधकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाती है. 

Advertisement
Advertisement