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PF घोटालाः संजय अग्रवाल, अपर्णा यू और आलोक कुमार, इन तीन IAS अफसरों से पूछताछ करना चाहती है CBI

UPPCL पीएफ घोटाला करीब 2600 करोड़ रुपये का है. इसकी जांच सीबीआई कर रही है. अब सीबीआई ने कहा है कि वह UPPCL से जुड़े रहे तीन IAS अफसरों की जांच करना चाहती है.

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UPPCL में हुए पीएफ घोटाले की जांच CBI कर रही है (सांकेतिक फोटो)
UPPCL में हुए पीएफ घोटाले की जांच CBI कर रही है (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • UPPCL में 2600 करोड़ का पीएफ घोटाला हुआ था
  • UPPCL में हुए पीएफ घोटाले की जांच CBI कर रही है

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) से जुड़े हजारों करोड़ के भविष्य निधि (EPF) घोटाले मामले में अब नया मोड़ आ गया है. जांच कर रही सीबीआई ने अब यूपी सरकार से तीन सीनियर IAS अफसरों के खिलाफ जांच करने की इजाजत मांगी है. इसमें संजय अग्रवाल, अपर्णा यू और आलोक कुमार हैं.  ये तीनों अधिकारी 2013 से 2019 के बीच अलग-अलग वक्त पर UPPCL में पोस्टेड रहे थे.

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बता दें कि UPPCL की 4,300 करोड़ रुपये से अधिक की भविष्य निधि को DHFL समेत अन्य हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश किया गया था. यह पैसा वहां के कर्मचारियों का था. इस घोटाले में सीनियर IAS अफसरों के शामिल होने का आशंका जताई गई है.

CBI ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 17 (ए) के तहत यूपी सरकार से मंजूरी मांगी है. इस धारा के तहत किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ कोई भी जांच शुरू करने से पहले संबंधित राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होती है.

तीन IAS के खिलाफ मांगी जांच की मंजूरी

अग्रवाल उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और कुमार राज्य के कैडर से 1984 बैच के आईएएस अधिकारी हैं जबकि अपर्णा 2001 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। अग्रवाल और कुमार यूपीपीसीएल के अध्यक्ष रहे थे और अपर्णा इसकी प्रबंध निदेशक थीं। अग्रवाल अभी कृषि सचिव और कुमार केंद्र में ऊर्जा सचिव हैं। अपर्णा यू राज्य में प्रधान सचिव के पद पर तैनात हैं।

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CBI को मिले घोटाले के सबूत

मामले की जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि भविष्य निधि के तहत यूपीपीसीएल कर्मचारियों की 4,323 करोड़ रुपये से अधिक की बचत डीएचएफएल और अन्य हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में कथित तौर पर निवेश की गई. आरोप है कि DHFL में 4,122 करोड़ रुपये निवेश किए गए, जिनमें से 2,267 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं. बता दें कि DHFL में निवेश सरकारी गाइडलाइंस के खिलाफ जाकर किया गया था. यह पैसा कर्मचारियों की बचत का पैसा था.

इस मामले में पहले एपी मिश्रा (UPPCL के तब के MD), प्रवीन कुमार गुप्ता, सुधांशु द्विवेदी से पूछताछ हुई थी. तीनों फिलहाल लखनऊ जेल में बंद हैं. सीबीआई ने मार्च 2020 में इस जांच को संभाला था. इससे पहले मामला यूपी पुलिस की इकोनॉमिक विंग के पास था.

 

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