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उत्तर प्रदेश में व्यापम जैसा घोटाला! हाई कोर्ट पहुंचा मामला

मध्य प्रदेश के कुख्यात हो चले व्यापम घोटाले के बाद अब उत्तर प्रदेश से भी कुछ इसी किस्म के एक घोटाले की खबर आ रही है. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में असफल रहे परिक्षार्थियों ने यह आरोप लगाया है कि सब डिविजनल मजिस्ट्रेट पद पर पिछले तीन बार से हो रही नियुक्तियों में आधे से ज्यादा एक जाति विशेष से हुई हैं.

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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग

मध्य प्रदेश के कुख्यात हो चले व्यापम घोटाले के बाद अब उत्तर प्रदेश से भी कुछ इसी किस्म के एक घोटाले की खबर आ रही है. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में असफल रहे परिक्षार्थियों ने  यह आरोप लगाया है कि सब डिविजनल मजिस्ट्रेट पद पर पिछले तीन बार से हो रही नियुक्तियों में आधी से ज्यादा एक जाति विशेष से हुई हैं.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में दावा किया गया है कि पिछली तीन बार से एसडीएम की कुल 86 नियुक्तियों में से 56 एक खास जाति से हुई  हैं. याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि इस दौरान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की अन्य नियुक्तियों में भी इस जाति की संख्या आधी है.  इस मामले की सीबीआई जांच करते हुए याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव आयोग का इस्तेमाल अपनी जाति के उम्मीदवारों की मदद करने के लिए कर रहे हैं.

जाति है जो जाती नहीं
याचिका के अनुसार, आयोग द्वारा 2011 में कुल चयनित 389 में से 72 लोकसेवा अधिकारी इसी जाति से थे. ओबीसी के 111 सफल अभ्यर्थियों में से भी 45 इसी जाति के थे.याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 2013 में अनिल यादव यूपीपीएससी के अध्यक्ष बनने के बाद से इस तरह की घटनाओं में काफी इजाफा आया है. याचिकाकर्ता अनवीश पांडे ने अनिल यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने सारी हदें तोड़कर अपनी जाति के उम्मीदवारों की मदद की है. पांडे ने कहा कि एक खास जाति से आने वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू में ज्यादा नंबर मिलते हैं.

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नया नहीं है विवादों से नाता
2013 में पद संभालने के बाद से ही यादव ने कई विवादित निर्णय लिए हैं. उन्होंने तीन स्तरों की एक आरक्षण व्यवस्था लागू की थी जिसमें लिखित परीक्षा में एक जाति आधारित कोटे की शुरुआत की गई थी. हालांकि विरोध के बाद यूपीपीएससी ने इस फैसले को पलट दिया. इसी मामले में एक और याचिकाकर्ता कौशल ने आरोप लगाया कि यूपीपीएससी उम्मीदवारों से जानकारी छुपा कर रखना चाहती है, इसीलिए पीसीएस के परिणाम खुले तौर पर घोषित नहीं होते. याचिकाकर्ताओं ने यूपीपीएससी को चुनौती देने के लिए भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा भी बनाया है.

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