मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पहले ही चुनावी इम्तहान में औंधे मुंह गिरने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अब अपनी सरकार की कार्यप्रणाली बदलने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. लोकसभा चुनाव नतीजों में बुरी तरह हार के बाद अखिलेश यादव ने शनिवार को सपा के शीर्ष नेताओं और कुछ रिटायर्ड अधिकारियों के साथ नए अफसरों की तैनाती को लेकर बैठक की.
इसके साथ जल्द ही प्रदेश में बड़े प्रशासनिक फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है. अखिलेश सरकार अब प्रशासनिक मोर्चे पर अपने भरोसेमंद तेज-तर्रार अफसरों को तैनात करने की तैयारी में है, जो उसके विकास एजेंडे को रफ्तार दे सकें. लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी जिस तरह से औंधे मुंह गिरी है, उससे सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं. मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की जी-तोड़ कोशिशों के बावजूद प्रदेश में सपा सिर्फ पांच सीटों पर सिमट गई. सत्ता के गलियारे में चुनावी नतीजों का विश्लेषण शुरू हो गया है. मंत्रियों के कामकाज के साथ-साथ गवर्नेंस पर भी उंगली उठ रही है. माना जा रहा है कि सरकार ने बीते सवा दो साल में जो भी काम किए, वे महज फाइलों में ही रह गए. सरकारी मशीनरी निचले स्तर तक सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाने में नाकाम रही है.
सरकार के खिलाफ बने माहौल को भांपते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब अपनी टीम में ऐसे अफसरों को शामिल करने की कवायद में जुटे हैं जो पार्टी के घोषणा पत्र के वादों को पूरा कराने के साथ-साथ जनता के बीच सरकार की छवि को भी निखार सकें जिससे ढाई साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सपा को इसका लाभ मिल सके. लोकसभा गठन की अधिसूचना जारी होने के साथ ही आचार संहिता खत्म होगी और सरकार को अपने मनमाफिक अफसरों की तैनाती का अधिकार मिल जाएगा. अगले हफ्ते प्रशासनिक और पुलिस अफसरों के तबादले की सूची जारी की जा सकती है.
मुख्यमंत्री अखिलेश को ऐसे फीडबैक मिले हैं कि कुछ मंत्रियों ने चुनाव में पूरी ईमानदारी से काम नहीं किया. आजमगढ़ सीट, जहां से मुलायम खुद चुनाव लड़ रहे थे, वहां के मंत्रियों के बारे में अच्छी रिपोर्ट नहीं है. बलिया के एक मंत्री के बारे में भी सपा प्रत्याशी के खिलाफ काम करने की रिपोर्ट मिली है. इसके अलावा कई अन्य जिलों से भी इसी तरह के फीडबैक सपा नेतृत्व को मिल रहे हैं, जहां के मंत्रियों से लोगों की नाराजगी के चलते पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा. चुनाव को लेकर लापरवाह मंत्रियों पर कार्रवाई तो तय मानी ही जा रही है, लेकिन इससे पहले सरकार का जोर प्रशासनिक तंत्र को दुरुस्त करने पर है.