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पूर्वांचल से पश्चिम तक, यूपी में अचानक क्यों सक्रिय हो गए हैं असदुद्दीन ओवैसी?

पूर्वांचल की सियासी तपिश गर्म करने के बाद अब पश्चिम यूपी का राजनीतिक मिजाज समझने के लिए असदुद्दीन ओवैसी 26 जनवरी के बाद मुरादाबाद, संभल और अमरोहा जिले का दौरा करेंगे. यह उत्तर प्रदेश का वह इलाका है, जहां मुसलमानों के इर्द-गिर्द सियासत सिमटी हुई है. यही वजह है कि ओवैसी पूरब के बाद पश्चिम यूपी के लोगों से मिलकर उनकी सियासी नब्ज को टटोलने में जुट गए हैं. 

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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओवैसी मुरादाबाद, संभल और अमरोहा का करेंगे दौरा
  • पश्चिम यूपी में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं
  • ओवैसी की दस्तक से सपा की बढ़ी सियासी चुनौती

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी. पूर्वांचल की सियासी तपिश गर्म करने के बाद अब पश्चिम यूपी की राजनीतिक मिजाज समझने के लिए ओवैसी 26 जनवरी के बाद मुरादाबाद, संभल और अमरोहा जिले का दौरा करेंगे. यह उत्तर प्रदेश का वह इलाका है, जहां मुसलमानों के इर्द-गिर्द सियासत सिमटी हुई है. यही वजह है कि ओवैसी पूरब के बाद पश्चिम यूपी के लोगों से मिलकर उनकी सियासी नब्ज को टटोलने में जुट गए हैं. 

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AIMIM के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने aajtak.in से बताया कि असदुद्दीन ओवैसी उत्तर प्रदेश के दौरे के जरिए राजनीतिक मिजाज को समझने के साथ-साथ पार्टी संगठन की जमीनी हकीकत से वाकिफ हो रहे हैं. पूर्वांचल के दौरे से AIMIM के कार्यकर्ताओं में जोश आया है और अब पश्चिम यूपी का दौरा 26 जनवरी के बाद करेंगे, जिसके लिए हम पूरी रूप रेखा तैयार कर रहे हैं.ओवैसी दिल्ली से सीधे ट्रेन के जरिए मुरादाबाद आएंगे और फिर यहीं से अमरोहा और संभल जिले का दौरा करेंगे. 

मदरसों में भी जा सकते हैं ओवैसी

माना जा रहा है कि ओवैसी पश्चिम यूपी के मुस्लिम रहनुमाओं के साथ-साथ मुरादाबाद के मदरसों में भी जा सकते हैं. इन तीनों जिलों में जगह-जगह ओवैसी के भव्य स्वागत करने की भी AIMIM ने रणनीति बनाई है, जिस प्रकार वाराणसी से आजमगढ़ जाते समय किया गया था. सूबे के मुस्लिम समुदाय का मूड जानने और समझने के लिए ओवैसी पूर्वांचल जैसे कई दौरे की प्लानिंग कर रहे हैं. मुरादाबाद, संभल और अमरोहा के बाद फरवरी के पहले सप्ताह में मेरठ, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर दौरे की भी रूप रेखा प्रदेश संगठन तैयार कर रहा है. 

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उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. सूबे की करीब तीन दर्जन ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार अपने दम पर जीत दर्ज कर सकते हैं और करीब 122 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां अल्पसंख्यक मतदाता चुनावी नतीजों को खासा प्रभावित करते हैं. दिल्ली से सटे पश्चिम यूपी के इलाके में मुस्लिम मतदाता 30 से 45 फीसदी तक हैं.

जौनपुर-आजमगढ़ भी गए थे

ओवैसी ने पूर्वांचल में जौनपुर और आजमगढ़ जिले का दौरा किया था, जहां की संसदीय सीट पर बसपा और सपा का कब्जा है. ऐसे ही पश्चिम यूपी के मुरादाबाद और संभल में सपा के सांसद हैं तो अमरोहा की लोकसभा सीट पर बसपा का कब्जा है. ओवैसी ने आजमगढ़ दौरे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को निशाना पर लिया था और कहा था कि सपा की सरकार के रहते हुए उन्हें यूपी में आने से 12 बार रोका गया है. 

असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में समय की नजाकत को समझ लिया है. वो यह बात मानकर चल रहे हैं कि सूबे में सपा, बसपा, कांग्रेस और मुस्लिम वोटों की सियासत करने वाले राजनीतिक दलों से मुसलमान मायूस हैं और भरोसेमंद विकल्पों की तलाश में हैं. इसलिए वे अचानक बंगाल के ज्यादा यूपी में राजनीतिक संभावनाएं टटोलने में लगे हैं. यही वजह है कि अभी सिर्फ प्रदेश में दौरे कर लोगों का मूड जानने के लिए अलग-अलग जगह जाकर खास लोगों से मिलेंगे. इसी बिसात पर आगे की राजनीतिक दशा और दिशा तय करेंगे. 

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ओवैसी बने चेहरा

बिहार की तर्ज पर असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में भी छोटी पार्टियों के साथ मिल कर 'अधिकार संकल्प मोर्चा' का गठन किया है. इस मोर्चा की अगुवाई भले ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर कर रहे हों, लेकिन चेहरा असदुद्दीन ओवैसी बन गए हैं.

इसमें मोर्चे में पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, बाबू राम पाल की राष्ट्रीय उदय पार्टी, अनिल सिंह चौहान की जनता क्रांति पार्टी और प्रेमचन्द प्रजापति की राष्ट्रीय उपेक्षित समाज पार्टी शामिल है. हालांकि, AIMIM सूत्रों की मानें तो ओवैसी सूबे में बसपा से गठबंधन करने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं. पूर्वांचल के दौरे पर उन्होंने इसके संकेत भी दिए थे. 

 

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