scorecardresearch
 

2022 की चुनावी जंग की प्रयोगशाला बनेगा पूर्वांचल, SP-BSP और BJP घेराबंदी में जुटीं

पूर्वांचल में अपने सियासी राजनीतिक आधार को दोबारा से मजबूत करने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव सक्रिय हैं. आजमगढ़ जिले में अनवरगंज में बनने वाला सपा का आवासीय कार्यालय न सिर्फ पूर्वांचल में सपा की गतिविधियों का केंद्र बनेगा, बल्कि यहां से समाजवाद की नई पौध भी तैयार की जाएगी.

Advertisement
X
मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ
मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पूर्वांचल के 264 सीटों में से 115 पर बीजेपी कब्जा
  • सपा बना रही आजमगढ़ में अपना आवासीय कार्यलय
  • बसपा, कांग्रेस, AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष पूर्वांचल से

उत्तर प्रदेश की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से ही होकर जाता है, लेकिन हर पांच पर यहां के मतदाताओं की पसंद बदल जाती है. यही वजह है कि अगले साल 2022 में होने वाले सूबे के विधानसभा चुनाव की जंग का सियासी केंद्र पूर्वांचल बनने जा रहा है. सपा अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए पूर्वांचल में पार्टी नया आवासीय कार्यालय बना रही है, जहां सपा की राजनीति गतिविधियों के साथ समाजवाद की नई पौध भी तैयार की जाएगी. वहीं, बीजेपी पूर्वांचल में अपने सियासी आधार को मजबूत रखने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ भूमिहार समुदाय से आने वाले अरविंद कुमार शर्मा को एमएलसी बनाकर नई जिम्मेदारी देने के मूड में है. इसके अलावा बसपा, कांग्रेस और AIMIM अपनी कमान पूर्वांचल के नेताओं को ही सौंप रही हैं. 

Advertisement

पूर्वांचल के 28 जिले की 164 सीटें

पूर्वांचल में 28 जिले आते हैं, जो सूबे की राजनीतिक दशा और दिशा तय करते है. इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशांबी और अंबेडकरनगर जिले शामिल हैं. इन 28 जिलों में कुल 162 विधानसभा सीट शामिल हैं, लेकिन पिछले तीन दशक में पूर्वांचल का मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ नहीं रहा. वह एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव में साथ छोड़ देता है. 

पूर्वांचल में हर चुनाव में बदलता जनादेश

बीजेपी ने 2017 के चुनाव में पूर्वांचल की 164 में से 115 सीट पर कब्जा जमाया था जबकि सपा ने 17, बसपा ने 14, कांग्रेस 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थी. ऐसे ही 2012 के चुनाव में सपा ने 102 सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी को 17, बसपा को 22, कांग्रेस को 15 और अन्य को 8 सीटें मिली थीं. वहीं, 2007 में मायावती पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी तो पूर्वांचल की अहम भूमिका रही थी. बसपा 85 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि सपा 48, बीजेपी 13, कांग्रेस 9 और अन्य को 4 सीटें मिली थी. इससे जाहिर होता है कि यही पूर्वांचल की जंग फतह करने के बाद ही सूबे की सत्ता पर कोई पार्टी काबिज हो सकती है. 

Advertisement

एके शर्मा की एंट्री का पूर्वांचल समीकरण

सपा 2012 और बसपा 2007 में पूर्वांचल में बढ़िया प्रदर्शन करने के बाद भी इस इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए नहीं रख सकी थी.  वहीं, योगी आदित्यनाथ चूंकि खुद पूर्वांचल से हैं और 2017 में पूर्वांचल ने उन्हें गद्दी तक पहुंचाया है. बीजेपी इस बात को अच्छे से जानती है कि 2022 में जीतना है तो पूर्वांचल को साधे रखना होगा. इसीलिए बीजेपी ने मनोज सिन्हा की कमी को पूरा करने के लिए अरविंद कुमार शर्मा को राजनीति में उतारा है.

भूमिहार समुदाय और मऊ जिले से आने वाले शर्मा 16 सालों से पीएम मोदी के साथ साए की तरह रहे हैं और उन्हें एमएलसी बनाया गया है. माना जा रहा है कि योगी कैबिनेट में उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इसके पीछे बड़ा कारण शर्मा के जरिए पूर्वांचल के भूमिहार समुदाय को चुनाव से पहला बड़ा संदेश देना है. 

पूर्वांचल के इन जिलों में बीजेपी कमजोर

बीजेपी ने चार साल पहले सूबे में कमल खिलाकर ही सत्ता का वनवास खत्म किया था, जिसका नतीजा था कि पार्टी ने पूर्वांचल के गोरखपुर से आने वाले योगी आदित्यनाथ को सत्ता की कमान सौंपी थी. बीजेपी ने 2017 में पूर्वांचल की 28 जिलों की 164 विधानसभा सीट में से 115 सीट जीतकर भले ही रिकॉर्ड बनाया हो, लेकिन कई जिलों में पार्टी सपा से पीछे रह गई थी. बीजेपी आजमगढ़ की 10 में से सिर्फ एक सीट, जौनपुर की 9 में से 4, गाजीपुर की 7 में से 3, अंबेडकरनगर की पांच में से 2 और प्रतापगढ़ की 7 में से दो सीटें ही जीत सकी थी. इन जिलों में सपा सहित दूसरी पार्टियों ने परचम फहराया था. इसलिए बीजेपी पूर्वांचल पर खास फोकस कर रही है तो विपक्ष भी इसे अपनी सियासी प्रयोगशाला बनाने में जुट गया है.

Advertisement

पूर्वांचल के किले को मजबूत करने में जुटी सपा

पूर्वांचल में अपने सियासी राजनीतिक आधार को दोबारा से मजबूत करने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव सक्रिय हैं. आजमगढ़ जिले में अनवरगंज में बनने वाला सपा का आवासीय कार्यालय न सिर्फ पूर्वांचल में सपा की गतिविधियों का केंद्र बनेगा, बल्कि यहां से समाजवाद की नई पौध भी तैयार की जाएगी. यहां बनने वाला सपा कार्यालय शिक्षण-प्रशिक्षण का भी केंद्र होगा. साथ ही युवाओं और नए लोगों के समाजवादी संघर्ष, आंदोलनों और समाजवादी नेताओं के जीवन के बारे जानकारी दी जाएगी.

शुक्रवार को इस आवासीय कार्यालय के लिए 4374 वर्ग मीटर भूमि का बैनामा कराया गया है. माना जा रहा है कि चुनाव से पहले इस कार्यालय का निर्माण पूरा हो सकता है. सपा के अतरौलिया विधायक डॉ. संग्राम यादव ने बताया कि सपा का ये मुख्य कार्यालय सपा की पूर्वांचल की गतिविधियों का केंद्र बिंदु होगा. 

पूर्वांचल से रास्ता तलाश रहा विपक्ष

सपा सूबे की सत्ता में वापसी का रास्ता तलाश रही है, लेकिन पूर्वांचल में बसपा से लेकर कांग्रेस और AIMIM ने तक घेरने की तैयारी कर रखी है. AIMIM की कमान यूपी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ के रहने वाले शौकत अली के पास है. हाल ही में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आजमगढ़ का दौरा किया था और उन्होंने अखिलेश को निशाने पर लिया था. इसके अलावा AIMIM ने ओम प्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन कर रखा है, जिसका आधार पूर्वांचल के आजमगढ़, बलिया, गाजीपुर, बनारस और मऊ जैसे जिले में है. बसपा ने भी अपनी पार्टी की कमान पूर्वांचल के मऊ जिले से आने वाले भीम राजभर को सौंप रखी है और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी पूर्वांचल के कुशीनगर जिले से आते हैं. 

Advertisement

अखिलेश के लिए पूर्वांचल से उम्मीदें

बसपा, कांग्रेस, AIMIM और बीजेपी की सियासी घेराबंदी को तोड़ने के मकसद से अखिलेश यादव पूर्वांचल में पार्टी का कार्यालय बना रहे हैं. इसके पीछे एक अहम वजह यह भी है कि बीजेपी पूर्वांचल में यादव मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की कवायद में है, जिसके देखते हुए सपा सक्रिय हो गई है. इसीलिए आजमगढ़ के जिले में बनने वाले कार्यालय से सपा अपने कार्यकर्ताओं को वैचारिक तौर पर प्रशिक्षण देगी. यहां सपा के आंदोलनों के इतिहास को सहेजा जाएगा. यहां पर डॉ. राम मनोहर लोहिया, डॉ. भीमराव आंबेडकर, जनेश्वर मिश्र, मुलायम सिंह यादव की विचारधारा और अखिलेश की नीतियों व कार्यक्रमों की जानकारी युवा पीढ़ी को देने के लिए सेमिनार करेगी. 

डॉ. संग्राम यादव ने बताया कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यहां आकर रुकेंगे और जिले के साथ ही पूर्वांचल के पदाधिकारियों से मुलाकात भी करेंगे. सपा की विचारधारा को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को निर्देश भी जारी किया जाएगा. यहां युवाओं को यह भी बताया जाएगा कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में समाजवादियों की क्या भूमिका रही और उन्होंने किस प्रकार अपनी भूमिका का निर्वहन किया.  पार्टी के बड़े नेता यहां आकर युवा कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे ताकि उन्हें समाजवादी विचार धारा के साथ मजबूती से जोड़े रखा जा सके.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement