उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की जमीन खरीद में घोटाले की बात सामने आई है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों ने इसे बड़ा मसला बनाया है, हालांकि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से आरोपों को नकार दिया गया है. लेकिन अब विवादित जमीन से जुड़ी अलग-अलग कड़ियां अब सामने आ रही हैं.
अयोध्या की कथित विवादित जमीन का एग्रीमेंट और बिक्री करने वाले आलम परिवार के जावेद आलम ने आजतक से बात की और सारे मसले को बताया. जावेद ने बताया है कि उन्होंने साल 2009 में यह जमीन बेचने की सोची और नन्हे अंसारी की मदद से 2011 में कुसुम पाठक और हरीश पाठक के साथ एक करोड़ रुपये में जमीन का एग्रीमेंट किया.
चूंकि मामला विवादित था, ऐसे में 6 साल बाद सर्किल रेट बढ़ने की वजह से 2 करोड़ रुपये में पाठक दंपति को इस जमीन की रजिस्ट्री कर दी. जावेद का दावा है कि यह जमीन उनकी पैतृक संपत्ति है और वक्फ की जमीन नहीं थी. उन्होंने बताया कि 2017 में उन्हें नहीं पता था कि अयोध्या का इतना विकास होगा इसलिए उन्होंने जमीन 2 करोड़ में ही बेच दी.
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जावेद के मुताबिक, ट्रस्ट ने 18 करोड़ में जमीन ली है वो भी काफी सस्ते में ली है क्योंकि अभी रेट 20 करोड़ पार है. अभी ये 25-26 करोड़ रुपये की कीमत हो सकती है.
जावेद ने बताया है कि जब 2017 में रजिस्ट्री की, उसके बाद से पाठक से बात नहीं हुई. जो आरोप लग रहे हैं सब बेबुनियाद बातें हैं, कोई घपला नहीं है. जमीन के रेट आसमान छू रहे है जब से राम मंदिर का काम शुरू हुआ.
वहीं, नूर आलम ने आजतक को बताया कि यह वक्फ की जमीन कभी नहीं थी, उन्होंने खुद कुछ साल बाद बताया, यह हमारी जमीन थी. हमें नहीं पता था की मंदिर के बाद अयोध्या में दाम इतने बढ़ेंगे.
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की ओर से इस मसले को उठाया जा रहा है और ट्रस्ट से सही जवाब मांगा जा रहा है.