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राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनने से पहले शुरू हुई पुजारी बनने की होड़

हर कोई पुजारी बनना चाहता है. इसको लेकर अब प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखे जाने लगे हैं. पुजारी बनने की होड़ में गुरु भाइयों आचार्य सत्येंद्र दास और महंत धर्म दास के साथ ही रामलला विराजमान के पक्षकार और राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य त्रिलोकी नाथ पांडेय भी शामिल हो गए हैं.

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राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल (फाइल फोटोः PTI)
राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल (फाइल फोटोः PTI)

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  • महंत धर्मदास के साथ ही त्रिलोकी पांडेय ने भी किया दावा
  • विहिप के प्रवक्ता बोले- रामानंद संप्रदाय का हो पुजारी

अयोध्या के वर्षों पुराने मंदिर मस्जिद विवाद का निर्णय तो सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया, लेकिन अब एक नई जंग शुरू हो गई है. राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 माह में एक ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया है. अब ट्रस्ट बनने से पहले ही वर्चस्व के साथ निर्मित मंदिर में पूजा पाठ और भोग राग के अधिकार को लेकर लड़ाई शुरू हो गई है. हर कोई पुजारी बनना चाहता है. इसको लेकर अब प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखे जाने लगे हैं. पुजारी बनने की होड़ में गुरु भाइयों आचार्य सत्येंद्र दास और महंत धर्म दास के साथ ही रामलला विराजमान के पक्षकार और राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य त्रिलोकी नाथ पांडेय भी शामिल हो गए हैं.

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पुजारी बनने की यह होड़ राम मंदिर के पक्षकार महंत धर्म दास की ओर से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राम मंदिर के रिसीवर को पत्र लिखे जाने से शुरू हुई. इस पत्र में उन्होंने 1949 में अपने गुरु बाबा अभिराम दास के राम मंदिर का पुजारी होने का जिक्र करते हुए उनके खिलाफ पुजारी रहते दर्ज मुकदमे और इसके आधार पर मंदिर और मस्जिद पक्षकारों द्वारा उनको पुजारी मानते हुए पार्टी बनाने का भी उल्लेख किया. महंत ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में उनके गुरु बाबा अभिराम दास को ही तत्कालीन पुजारी माना है. इसी आधार पर उन्होंने परंपरा और कानून का हवाला देकर गठित होने वाले ट्रस्ट में खुद को ट्रस्टी और पुजारी बनाने की मांग की है.

वर्तमान पुजारी सत्येंद्र दास ने भी किया दावा

राम मंदिर के वर्तमान पुजारी और महंत धर्म दास के बड़े गुरु भाई आचार्य सत्येंद्र दास ने भी 27 साल से राम लला की  पूजा करते आने का उल्लेख करते हुए पुजारी बनने का दावा कर दिया. दास ने अपने गुरु बाबा अभिराम दास की परंपरा को आगे बढ़ाने का हवाला दिया है और कहा है कि इसी आधार पर राम मंदिर के रिसीवर ने सबसे बड़ा शिष्य होने के नाते पुजारी के लिए उनका चयन किया था.

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महंत धर्म दास के पुजारी के लिए दावा करने के संबंध में उन्होंने कहा कि हो सकता है उनके गुरु भाई उसी परंपरा को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हो लेकिन उनको यह मांग करनी चाहिए कि जब बड़े गुरु भाई पुजारी हैं तो छोटे गुरु भाई की कोई जरूरत नहीं है. आचार्य ने धर्म दास की मांग को जायज भी ठहराया और कहा कि वह हमारे छोटे भाई हैं. पूजा का अधिकार चाहे हमको मिले या उनको मिले, उन्हें इसका समर्थन करना चाहिए.

रामलला विराजमान के पक्षकार ने भी किया दावा

दो गुरु भाइयों के बीच पुजारी बनने के लिए चल रही होड़ में रामलला विराजमान के पक्षकार त्रिलोकी नाथ पांडे ने भी एंट्री मार दी. पांडेय ने वर्तमान पुजारी सत्येंद्र दास को कमिश्नर का कर्मचारी करार देते हुए कहा कि उन्हें वेतन मिलता है. पुजारी तो ट्रस्ट बनाएगा. उन्होंने महंत धर्म दास को लेकर कहा कि वह हाई कोर्ट तक चले मुकदमे तक मेरे अच्छे मित्र हुआ करते थे.

रामलला विराजमान के पक्षकार ने कहा कि अब वह किन्हीं लोगों के बहकावे में हैं. नहीं जानता कि उन्हें कौन गाइड कर रहा है. पांडेय ने कहा कि ढांचा गिरने के बाद जब उसका अधिग्रहण हो गया, सरकार ने लाल दास की जगह सत्येंद्र दास को पुजारी बनाया. उन्होंने कहा कि क्लेम करना तो बहुत अच्छी बात है, इसमें क्या आपत्ति हो सकती है. पांडेय ने पुजारी बनने की अपनी इच्छा जाहिर कते हुए कहा कि मेरे अंदर कौन सी कमी है कि पुजारी नहीं बन सकता. दावा तो मेरा भी है.

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विहिप ने धर्म दास और सत्येंद्र दास पर साधा निशाना

राम मंदिर आंदोलन में आगे रहने वाले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रवक्ता शरद शर्मा ने वर्तमान पुजारी सत्येंद्र दास और धर्मदास पर निशाना साधा और कहा कि पुजारी तो सर्वगुण संपन्न, वैदिक रीति रिवाजों को मानने वाला, ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला निपुण रामानंद संप्रदाय का व्यक्ति होना चाहिए. ठीक उसी तर्ज पर जैसा कि माता वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी में होता है. उसी विधि विधान से पूजा होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पुजारी कौन होगा, यह ट्रस्ट तय करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े को राम मंदिर के प्रबंध तंत्र में हिस्सेदार यानी गठित होने वाले ट्रस्ट में भागीदारी देने का आदेश दिया है और अखाड़े ने पंचों की बैठक करके प्रधानमंत्री से अपना दायित्व निश्चित करने के लिए मिलने का समय मांगा है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि राम मंदिर का पुजारी बनने की होड़ आखिर कितना आगे तक जाती है.

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