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यूपी: 20 साल से नौकरी कर रहे फर्जी दस्तावेज वाले टीचर, FIR की तैयारी

पांच शिक्षक ऐसे हैं, जो फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे 20 साल से सेवारत हैं. एसटीएफ ने संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी है. बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से एफआईआर कराने को कहा गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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  • एसटीएफ ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजी रिपोर्ट
  • बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से FIR कराने को कहा

अनामिका शुक्ला के नाम से दस्तावेजों और मार्कशीट का इस्तेमाल कर एक साथ 25 स्कूलों में नौकरी किए जाने का मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स भी हरकत में आ गई है. एसटीएफ ऐसे 26 और शिक्षकों पर नजर रख रही है, जो जाली प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी कर रहे हैं.

इनमें महाराजगंज और श्रावस्ती के चार-चार, बलरामपुर, देवरिया और सीतापुर के तीन-तीन और गोरखपुर के 2 शिक्षक हैं. एसटीएफ ने संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को रिपोर्ट भेज कर एफआईआर दर्ज कराने को कहा है. यूपी एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक 10 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने अपने अंक बढ़ाने के लिए प्रमाणपत्रों में हेरफेर किया.

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एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि 13 शिक्षकों ने नौकरी पाने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र और अन्य जिलों में तैनात शिक्षकों के प्रमाण पत्र जमा कराए हैं. ऐसे शिक्षकों की सूची में महाराजगंज जिले में साल 1995 से सेवारत एक शिक्षक और देवरिया में साल 1997 से कार्यरत एक शिक्षक का नाम सामने आ रहा है.

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इनके अलावा भी पांच शिक्षक ऐसे हैं, जो फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे 20 साल से सेवारत हैं. एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी गई है. बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से एफआईआर कराने को कहा गया है.

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इस बीच पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश द्विवेदी ने कहा कि जब से योगी आदित्यनाथ सरकार आई है, हमने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे 1700 से अधिक लोगों की सेवा समाप्त कर दी है. उन्होंने कहा कि सिस्टम में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अब डिजिटल डेटाबेस बनाया जा रहा है.

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